28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- सरकार, विधानसभा सहयोग न करें, तो कोर्ट आ सकती है CBI

झारखंड हाईकोर्ट ने नियुक्तियों के दौरान पैसा लेने के आरोपों से जुड़े सीडी की भी जांच करने को कहा है. वहीं, संबंधित सभी विभागों को सीबीआई जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है.

रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने का आदेश देने के बाद एक अक्तूबर को 116 पेज के आदेश की प्रति सार्वजनिक की. इसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर जांच के दौरान सरकार-विधानसभा की ओर से सहयोग नहीं किया जाता है, तो सीबीआइ इसकी शिकायत कोर्ट से कर सकती है. वहीं, कोर्ट ने पहले न्यायिक आयोग की रिपोर्ट पर वर्षों चुप्पी साधे रहने और जनहित याचिका दायर किये जाने के बाद दूसरे आयोग के गठन पर सवाल उठाया है. साथ ही इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार और विधानसभा की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लगाये हैं.

पैसे लेने से जुड़े सीडी की भी जांच का निर्देश

जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सीबीआई को विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति में बरती गयी अनियमितताओं के साथ ही इस मामले में शामिल उच्चपदस्थ लोगों की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है. झारखंड हाईकोर्ट ने नियुक्तियों के दौरान पैसा लेने के आरोपों से जुड़े सीडी की भी जांच करने को कहा है. वहीं, संबंधित सभी विभागों को सीबीआई जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा है कि नियुक्ति-प्रोन्नति मामले से संबंधित सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपे जायें. न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणियों से प्रभावित नहीं हो और खुले दिमाग से जांच करे.

पहले आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की, तो दूसरा आयोग क्यों बनाया

न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील और शपथ पत्रों सहित दस्तावेज में वर्णित तथ्यों के आधार पर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा है कि विधानसभा की ओर से यह बताया गया कि पहले आयोग की रिपोर्ट की अनुशंसाओं के आलोक में मिली अनियमितताओं के आधार पर 26 अगस्त 2019 को एक आदेश जारी कर राम सागर और रवींद्र कुमार सिंह को सेवानिवृत्त करा दिया गया. न्यायालय ने यह सवाल उठाया है कि अगर पहले आयोग में सिर्फ दो ही अनियमितताएं मिली थीं और उस पर कार्रवाई भी कर दी गयी, तो दूसरा आयोग बनाने की जरूरत क्या थी?

Also Read: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए बनेगी कमेटी, हाईकोर्ट में सुनवाई आज

कोर्ट ने सरकार और विधानसभा की भूमिका को संदेहास्पद बताया

न्यायालय ने पहले आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में तत्कालीन राज्यपाल द्वारा तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष को सीबीआई जांच की अनुशंसा किये जाने पर वर्षों खामोश रहने की घटना को गंभीरता से लिया है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि पहले आयोग ने वर्ष 2018 में अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें अनियमितता का उल्लेख करते हुए कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी थी. पर कार्रवाई नहीं की गयी. आयोग की रिपोर्ट पर वर्षों धूल जमती रही. हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर किये जाने के बाद इस मामले में तेजी आयी. इसके बाद इस मामले में दूसरे आयोग का गठन किया गया. दूसरे आयोग ने रिपोर्ट सौंपी. पहले आयोग में कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी थी. दूसरे आयोग में किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने की अनुशंसा की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कई बार दोनों आयोग की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया, लेकिन कोर्ट द्वारा दिये गये सामान्य आदेश के आलोक में आयोग की रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी. कोर्ट द्वारा कार्रवाई की चेतावनी देने के बाद दोनों आयोग की रिपोर्ट न्यायालय में पेश की गयी. इससे सरकार और विधानसभा की भूमिका संदेहास्पद हो जाती है.

Also Read: कौन हैं MS रामचंद्र राव, जिन्हें बनाया गया झारखंड हाईकोर्ट का नया चीफ जस्टिस, दादा भी रह चुके हैं न्यायाधीश

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें