रांची : हाइकोर्ट ने जेपीएससी से सवाल पूछा है कि अनारक्षित वर्ग की 114 रिक्ति के विरुद्ध 15 गुना रिजल्ट क्यों नहीं दिया गया. इसका डाटा उपलब्ध करायें. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यदि पीटी में आरक्षण ही देना था, तो अप्रत्यक्ष रूप से क्यों. इसके लिए पॉलिसी क्यों नहीं लायी गयी. क्या सरकार के पास पीटी में आरक्षण का लाभ देने की पॉलिसी है.
शपथ पत्र में कोटिवार सफल अभ्यर्थियों का डाटा देते हुए स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश दिया. झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को सातवीं से 10वीं संयुक्त सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) के रिजल्ट में आरक्षण देने को लेकर दायर अपील याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की.
हाइकोर्ट ने जेपीएससी से सवाल पूछा है कि सातवीं से दसवीं संयुक्त सिविल सेवा के पीटी में आरक्षण का लाभ दिया गया है या नहीं. यदि आरक्षण का लाभ दिया गया है, तो कितने सामान्य कैटेगरी के सेलेक्ट हुए हैं. आरक्षित कैटेगरी के कितने अभ्यर्थी सफल हुए हैं. अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के कितने अभ्यर्थी सेलेक्ट हुए. कोटिवार कट ऑफ मार्क्स क्यों निकाला गया. अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 25 जनवरी की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए 28 जनवरी से शुरू होनेवाली मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने आग्रह किया. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि नियमावली व विज्ञापन में कहीं भी प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) में आरक्षण का लाभ देने की बात नहीं कही गयी है. प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ देने का कोई प्रावधान कहीं नहीं है.
इसके बावजूद जेपीएससी ने पीटी में आरक्षण का लाभ देते हुए रिजल्ट निकाला है. इसमें सामान्य कैटेगरी की 114 सीट के विरुद्ध 15 गुना अर्थात 1710 अभ्यर्थी को सफल होना चाहिए था, लेकिन 768 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है. शेष पदों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये हैं. जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता एके दास ने पक्ष रखा. ज्ञात हो कि प्रार्थी कुमार सन्यम ने अपील याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है. एकल पीठ ने सातवीं से दसवीं जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
पीटी के आठ गलत प्रश्नों के मामले में 25 जनवरी को फैसला सुनाया जायेगा. यह मामला जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सूचीबद्ध है. प्रार्थी के अधिवक्ता राजेश ने बताया कि पीटी के आठ प्रश्नों का मॉडल उत्तर गलत है. आपत्ति के बाद भी जेपीएससी द्वारा जारी फाइनल मॉडल आंसर के आठ प्रश्नों का जवाब गलत पाया गया है. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सातवीं से दसवीं जेपीएससी सिविल सेवा प्रतियोगिता के पीटी में कम मार्क्स को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी कंचन मेहता व जेपीएससी का पक्ष सुना. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने पुनर्मूल्यांकन के मुद्दे पर प्रार्थी को राहत देने से इंकार कर दिया. साथ ही याचिका खारिज कर दी. वहीं. जेपीएससी पीटी के मॉडल आंसर को चुनौती देनेवाली याचिका को जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया. यह याचिका प्रार्थी उमेश वर्मा की ओर से दायर की गयी है.
Posted by : Sameer Oraon