रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने रांची नगर निगम के चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की प्रोन्नति के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने नागरीय प्रशासन निदेशालय के निदेशक (डीएमए) को कड़ी फटकार लगायी. अदालत ने नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि जब अवमानना की सुनवाई चल रही हो, उसके बीच में डीएमए निदेशक रांची नगर निगम के प्रस्ताव को कैसे रद्द कर सकता है. यह दुर्भावना से ग्रसित निर्णय है. अदालत उसे अस्वीकार करती है.
अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए नगर विकास विभाग को तीन सप्ताह के अंदर आदेश का पालन करने का निर्देश दिया. कहा कि आदेश का पालन नहीं हुआ, तो नगर विकास विभाग के सचिव विनय चौबे अगली सुनवाई के दौरान अदालत में सशरीर उपस्थित रहेंगे. सचिव से पूछा कि अदालत के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया. क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाये. मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी.
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रेम पुजारी ने अदालत को बताया कि एकल पीठ के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. रांची नगर निगम ने डीएमए निदेशक को रिक्त पद का प्रस्ताव भेज कर मार्गदर्शन मांगा था, जिसे रद्द कर दिया गया. डीएमए की कार्रवाई अदालत की अवमानना है. वर्ष 2014 की जिस नियमावली की बात हो रही है, वह प्रार्थियों के मामले में लागू नहीं है. प्रार्थियों का मामला नियमावली लागू होने के पहले का है.
वहीं प्रतिवादी की ओर से बताया गया कि डीएमए निदेशक ने प्रस्ताव रद्द कर दिया है. अवमानना के इस मामले को ड्रॉप करने का आग्रह किया गया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रांची नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ के नरेश राम व अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है. उन्होंने एकल पीठ के आदेश का पालन कराने की मांग की है.