रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका के साथ-साथ चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के मामले में सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को रिम्स द्वारा प्रशासनिक पदों की स्वीकृति के संबंध में भेजे गये प्रस्ताव के संबंध में प्रति शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया.
रिम्स में नयी नियुक्ति की वैधता के मामले में दायर याचिकाओं पर रिम्स को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. रिम्स के अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह से खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि लगता है रिम्स स्वयं बीमार है. चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन में रिम्स ने यह कैसे लिखा कि झारखंड के नागरिक ही आवेदन कर सकते हैं.
नागरिक देश का होता है, राज्य का नहीं. ऐसे में उक्त विज्ञापन के तहत जो भी नियुक्तियां होंगी वह निरस्त हो सकती हैं. ऐसी बातें लिखना बीमार व्यक्ति का व्यवहार है, स्वस्थ व्यक्ति का ऐसा व्यवहार नहीं होता है. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 17 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व रिम्स की अोर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने पैरवी की.
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने निर्देश दिया था कि रिम्स में चतुर्थ वर्गीय पदों सहित अन्य पदों के लिए निकाले गये विज्ञापन के आधार पर जो परीक्षा होगी तथा जिनका चयन किया जायेगा, उनकी नियुक्ति याचिका में पारित अंतिम आदेश से प्रभावित होगी. चतुर्थवर्गीय स्तरीय 169 पदों पर नियुक्ति के लिए रिम्स ने आठ मार्च 2019 को विज्ञापन निकाला गया था. इसके आधार पर अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया था, लेकिन रिम्स ने नियुक्ति पत्र नहीं दिया.
इसे लेकर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी. बाद में रिम्स ने उक्त विज्ञापन को रद्द कर दिया. फिर एक जनहित याचिका के आदेश के अनुपालन में रिम्स की ओर से 20 मई 2022 को लैब अटेंडेंट, वार्ड अटेंडेंट सहित अन्य पदों के लिए नया विज्ञापन निकाला गया. प्रार्थियों ने याचिका दायर कर उक्त विज्ञापन को भी चुनौती दी है.