Loading election data...

हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी, कहा- झारखंड सरकार समस्या पैदा कर रही है

खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को अगली सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट का आदेश बिल्कुल ही स्पष्ट है. इसे लागू करने में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए.

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2022 6:41 AM

सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा-2016 को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस एमआर शाह व जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का हलफनामा देखा और मौखिक रूप से कहा : हलफनामा देख कर लगता है कि झारखंड सरकार समस्या पैदा कर रही है.

खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को अगली सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट का आदेश बिल्कुल ही स्पष्ट है. इसे लागू करने में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए. हम बतायेंगे कि नियुक्ति कैसे होगी. अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी.

इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता रंजीत कुमार व अधिवक्ता ललित कुमार सिंह ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी में जो आदेश पारित किया था, झारखंड सरकार व जेएसएससी उसका पालन नहीं कर रही है. उधर, झारखंड सरकार ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रिजल्ट प्रकाशित करने पर लगभग 40,000 को नियुक्त करना होगा.

यह विज्ञापन में उल्लिखित सीट संख्या का तीन गुना और स्वीकृत पद का 1.71 प्रतिशत होगा. इसके अलावा नियुक्त शिक्षकों में से 2136 शिक्षक बाहर हो जायेंगे. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सोनी कुमारी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने एसएलपी में पारित आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. वहीं, राजू कुमार चाैरसिया, प्रकाश यादव व अन्य की ओर से आइए याचिका दायर की गयी है.

जानिये, क्या है पूरा मामला :

वर्ष 2016 में जेएसएससी ने संयुक्त स्नातक प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा की प्रक्रिया शुरू की थी. 13 अनुसूचित व 11 गैर अनुसूचित जिलों में हाइस्कूलों में 17572 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी. वहीं, पलामू निवासी सोनी कुमारी व अन्य की ओर से विज्ञापन व नियोजन नीति को चुनौती दी गयी.

चयन के बाद विभिन्न विषयों में 8000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हो गयी. इस बीच झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की नियोजन नीति को असंवैधानिक करार दिया तथा 13 अनुसूचित जिलों में की गयी शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी. बाद में शिक्षक सत्यजीत कुमार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

Next Article

Exit mobile version