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Jharkhand News: मानव तस्करी की शिकार झारखंड की 10 बच्चियां Delhi से मुक्त, ऐसे आ गयी थीं बहकावे में

Jharkhand News: दिल्ली में मुक्त करायी गयी बच्चियों को बिचौलियों के माध्यम से लाया गया था. झारखंड में ऐसे बिचौलिए बहुत सक्रिय हैं जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर दिल्ली में अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं.

Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी की शिकार बालिकाओं को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वासित किया जा रहा है. उसी कड़ी में मानव तस्करी की शिकार झारखंड के खूंटी जिले की 7 बच्चियों एवं गिरिडीह जिले की 3 बच्चियों को दिल्ली में मुक्त कराया गया है. महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ए डोडे द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है. उन्हें जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा बच्चियों को वापस अपने जिले में पुनर्वासित किया जायेगा. इसी कड़ी में गिरिडीह जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेम्ब्रम एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अहमद अली द्वारा पहल करते हुए दिल्ली में रेस्क्यू कर बच्चियों को मुक्त कराया गया.

पीड़ितों का कराया जा रहा पुनर्वास

स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली के द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है. उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है.

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बिचौलियों के माध्यम से पलायन

दिल्ली में मुक्त करायी गई बच्चियों को बिचौलियों के माध्यम से लाया गया था. झारखंड में ऐसे बिचौलिए बहुत सक्रिय हैं जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर दिल्ली में अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं. जिससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है. बिचौलियों के चंगुल में बच्चियों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती हैं. कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चियां अपने माता-पिता, अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही बिचौलियों के चंगुल में फंस जाती हैं.

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मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी

समाज कल्याण एवं महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को संबंधित जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन बच्चियों को को फिर मानव तस्करी के शिकार होने से से बचाया जा सके एवं झारखंड में मानव तस्करी रोकी जा सके. एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र के परामर्शी निर्मला खलखो, राहुल सिंह ने अहम भूमिका निभाई.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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