झारखंड: जनता से रू-ब-रू होने के लिए सरकारी बाबुओं को सीखनी होगी ट्राइबल लैंग्वेज
सरकार द्वारा जनजातीय भाषा का कोर्स चलाने के पीछे का उद्देश्य राज्य में निवास कर रहे ग्रामीणों के साथ अधिकारियों का बेहतर तालमेल बनाना है.
रांची : झारखंड के आईएएस और आईपीएस अफसरों को जनता के साथ बेहतर तालमेल बनाने के लिए 6 जनजातीय भाषा सीखनी होगी, इसके लिए सरकार ऑनलाइन पाठशाला चलाएगी. जानकारी के मुताबिक, कल्याण विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है और स्थापना दिवस के मौके पर कोर्स मॉड्यूल को लॉन्च किया जाएगा. ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से कोर्स का मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है.
किन जनजातीय भाषाओं को सीखना होगा
सरकार ने तय किया है कि यहां पर पदास्थापित आईएएस, आईपीएस और राज्य सेवा के अधिकारियों के लिए छह जनजातीय भाषाओं संथाल, हो, खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी और भूमिज भाषा की ऑनलाइन कोर्स चलाए जाएंगे. कोर्स की अवधि 3 माह की होगी. कोर्स पूरा होने के बाद परीक्षाएं भी ली जाएंगी और उत्तीर्ण अफसरों को सर्टिफिकेट दिये जाएंगे. जो अधिकारी इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाएंगे उन्हें दोबारा मौका मिलेगा.
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क्या है उद्देश्य
सरकार द्वारा जनजातीय भाषा का कोर्स चलाने के पीछे का उद्देश्य राज्य में निवास कर रहे ग्रामीणों के साथ अधिकारियों का बेहतर तालमेल बनाना है. सरकार का मानना है कि अच्छा समन्वय स्थापित करने के लिए उनकी भाषा को समझना बेहद जरूरी है. चूंकि, झारखंड एक आदिवाली बहुल प्रदेश है इसलिए यहां की जनजातीय भाषा को सीखना जरूरी है.
सिविल सर्विस डे पर सीएम हेमंत सोरेन ने अधिकारियों से पूछा था ये सवाल
बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने सिविल सर्विस डे पर अधिकारियों को संबोधित करते हुए पूछा था कि आपमें से कितने लोग झारखंड की जनजातीय भाषाएं जानते हैं? इस पर किसी भी अफसर ने जवाब नहीं दिया था. तब, सीएम ने कहा था कि आप झारखंड के लोगों को एक ईमानदार और कुशल प्रशासन देना चाहते हैं तो उनकी भाषा को समझना और उसमें संवाद करना आवश्यक है.
ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस किया जा रहा तैयार
झारखंड में रहने वाले आदिवासी समूहों के लिए ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार किया जा रहा है. प्रथम चरण में अति कमजोर आदिवासी समुदाय (PVTG) का बेसलाइन सर्वे होगा. आदिवासी कल्याण आयुक्त के मार्गदर्शन में झारखंड सरकार का कल्याण विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए आदिवासी गांवों की बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान स्थिति और विकास के मानक लक्ष्य से क्रिटिकल गैप सर्वे के साथ प्रत्येक गांव और टोला में शिक्षा, कौशल क्षमता, रोजगार, आय, जीवनस्तर आदि का ब्योरा भी जुटाया जाएगा.
इसके लिए राज्य सरकार उनके सामाजिक-बुनियादी ढांचे, आजीविका और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाएगी. इसका फायदा यह होगा कि ऐसे जनजातीय समूहों के लोगों को पक्के आवास, स्वच्छता, पाइपलाइन के जरिये शुद्ध पेयजल, बिजली/सौर विद्युतीकरण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, पीडीएस और ई-श्रम का लाभ मिल सकेगा.