‘हर घर नल’ में झारखंड बहुत पीछे, अब तक इतने लाख घरों तक ही पहुंचा पानी

झारखंड घर से नल पहुंचाने के मामले में देश भर में दूसरा पिछड़ा राज्य है. सबसे पीछे उत्तर प्रदेश है. वहीं दूसरे पायदान पर झारखंड है. राज्य में कुल 3161 ऐसे गांव हैं, जिसमें से एक भी घर में नल से जल नहीं पहुंच सका है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 7, 2022 9:27 AM
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Jharkhand News: हर घर में नल से पानी पहुंचाने के मामले में झारखंड काफी पीछे है. यह योजना लक्ष्य से पिछड़ गया है. वर्ष 2022-23 में कुल 22 लाख ग्रामीण घरों में नल से पानी पहुंचाना था, लेकिन यहां दिसंबर में अब तक मात्र 4.46 लाख घरों में ही जल पहुंचाने में सफलता मिली है. इस तरह यहां इस योजना की स्थिति काफी खराब है. योजना के तहत राज्य के 24 जिले के कुल 32 प्रमंडलों को मिला कर 61.21 लाख घरों में पानी पहुंचाना था, पर अब तक 16.16 लाख घरों तक ही पानी पहुंचा है.योजना की स्थिति देखते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने इसका ऑडिट कराने का फैसला लिया है.

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अभी क्या है स्थिति

जल प्रमंडल घरों में पानी पहुंचा

  • पाकुड़ 16299

  • आदित्यपुर 11667

  • मेदिनीनगर 57550

  • गोड्डा 48242

  • गिरिडीह 1 29629

  • चतरा 38056

  • जामताड़ा 27928

  • सरायकेला 36951

  • दुमका 1 16619

  • हजारीबाग 71778

  • साहिबगंज 61287

  • मधुपुर 36998

  • खूंटी 28314

  • गढ़वा 72550

  • चाईबासा 50306

  • चक्रधरपुर 29126

  • धनबाद-1 29936

  • गुमला 53349

  • देवघर 35798

  • लोहरदगा 28113

  • दुमका 67887

  • लातेहार 37780

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जल प्रमंडल घरों में पानी पहुंचा

  • झुमरीतिलैया 47430

  • जमशेदपुर 88290

  • चास 54424

  • गिरिडीह-2 98501

  • रांची पूर्वी 62458

  • रांची पश्चिमी 103033

  • धनबाद-दो 65475

  • सिमडेगा 56522

  • तेनुघाट 71787

  • रामगढ़ 82608

यूपी के बाद देश में दूसरा पिछड़ा राज्य है झारखंड

झारखंड घर से नल पहुंचाने के मामले में देश भर में दूसरा पिछड़ा राज्य है. सबसे पीछे उत्तर प्रदेश है. वहीं दूसरे पायदान पर झारखंड है. राज्य में कुल 3161 ऐसे गांव हैं, जिसमें से एक भी घर में नल से जल नहीं पहुंच सका है. इन गांवों में अभी भी लोग पेयजल के लिए चापाकल, कुआं, नदी-नाला सहित अन्य स्त्रोतों पर निर्भर हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से यह योजना चल रही है, पर इन गांवों में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत एक भी योजना शुरू नहीं हो सकी है. संताल परगना में इसकी स्थिति थोड़ी ठीक है.

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