झारखंड में ईडी ने जमीन के अवैध कब्जा मामले में तेज की कार्रवाई, जांच के लिए पहुंची कांके
ईडी की टीम कमलेश कुमार से जुड़े मामलों की जांच करने के लिए रांची के कांके स्थित चामा गांव पहुंची. उसके ठिकानों पर कुछ दिनों पहले छापा पड़ा था.
शकील अख्तर, रांची : झारखंड में ईडी ने जमीन के अवैध कब्जा मामले में कार्रवाई तेज कर दी है. प्रर्वतन निदेशालय की टीम बुधवार को जमीन कारोबारी कमलेश कुमार से जुड़े मामले में जांच के लिए रांची के कांके स्थित चामा गांव पहुंची. दरअसल जांच एजेंसी को सूचना मिली थी कि कमलेश सिंह ने जबरन कई लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया है. बीते दिनों उनके ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा था. जहां उनके आवास से 1 करोड़ रुपये कैश और 100 कारतूस बरामद हुए थे.
लंबे समय से चल रहा है फरार
जमीन कारोबारी कमलेश कुमार लंबे समय से फरार चल रहा है. 21 जून को प्रर्वतन निदेशाय की टीम ने उनके कांके स्थित आवास पर रेड मारी थी. जहां उनके ठिकानों से भारी मात्रा में कैश और 100 जिंदा कारतूस बरामद हुए. इसके बाद उन्हें समन भेजकर पूछताछ के लिए भी बुलाया गया लेकिन वह नहीं पहुंचा. हालांकि इस बीच यह भी चर्चा फैल गयी कि वह एक युवक के साथ स्कॉर्पियो से कोलकाता चला गया. फिर वहां से वह बैंकॉक चला गया.
ठाठ से जीता है अपनी जिंदगी
पत्रकार से जमीन कारोबारी बने कमलेश कुमार को उनके आवास पर छापा पड़ने का अंदेशा पहले ही हो चला था. यही कारण है कि वह अपनी पत्नी रांची से बाहर किसी रिश्तेदार के पास भेज दिया. आस पास के लोग बताते हैं कि वह ठाठ से अपनी जिंदगी जीता है. आते जाते जिस भी जमीन पर उसकी नजर पड़ जाती थी, उस पर वह ऐन-केन प्रकारेण कब्जा जमाने के लिए हर हथकंडा आजमाता था.
छह माह से दो बॉडीगार्ड रखे हुए था कमलेश
कमलेश कुमार के बारे में जानकारी मिली है कि करीब छह माह से वह दो निजी बॉडीगार्ड लेकर चलता था. उनके बॉडीगार्ड आर्म्स से लैस रहते थे. देखते ही देखते तीन सालों में वह कांके और नगड़ी क्षेत्र में जमीन का बड़ा खेल करने लगा. वह फॉर्च्यूनर से चलता था. उसके पीछे-पीछे उसके कारिंदों की टीम दूसरे गाड़ी से चलती थी. कांके रिसॉर्ट में वह अक्सर अपने लाव-लश्कर के साथ देखा जाता था. वहीं पर वह अंचलकर्मियों व जमीन से जुड़े कारोबारियों व अफसरों के साथ मिलता-जुलता था. कुछ पुलिस अफसरों व अंचलकर्मियों की मिलीभगत के कारण वह अपनी रसूख के आधार पर जमीन पर कब्जा करने का काम करता था.
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