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कैसे शुरू हुई थी जमीन घोटाले की जांच, विष्णु अग्रवाल के ठिकाने से शुरू हुई छापेमारी ऐसे पहुंची IAS छवि रंजन तक

रांची नगर निगम ने इसी रिपोर्ट में वर्णित तथ्यों के आधार पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इडी ने इसी प्राथमिकी आधार पर जमीन की खरीद बिक्री की जांच शुरू की

ईडी ने जमीन घोटाले की जांच रांची के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की जांच रिपोर्ट के आधार पर रांची नगर निगम द्वारा दर्ज करायी गयी एक प्राथमिकी से शुरू की. आयुक्त ने सेना के कब्जेवाली जमीन के सिलसिले में जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इसमें प्रदीप बागची द्वारा फर्जी नाम और पता के आधार पर सेना के कब्जेवाली जमीन का अपने नाम पर होल्डिंग लेने का उल्लेख किया गया था.

रांची नगर निगम ने इसी रिपोर्ट में वर्णित तथ्यों के आधार पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. ईडी ने इसी प्राथमिकी को इसीआइआर के रूप में दर्ज कर दस्तावेज में जालसाजी कर जमीन की खरीद बिक्री की जांच शुरू की. ईडी ने जमीन के मामले में सबसे पहली छापेमारी नवंबर 2022 में व्यापारी विष्णु अग्रवाल, अमित अग्रवाल सहित अन्य के ठिकानों पर की.

दूसरे चरण में इडी ने 13 अप्रैल को रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, बड़गाईं अंचल के अंचलाधिकारी मनोज कुमार, कर्मचारी भानु प्रताप समेत जमीन कारोबारियों के कुल 21 ठिकानों पर छापा मारा. छापेमारी में मिले तथ्यों के आधार पर ईडी ने जमीन के सरकारी दस्तावेज घर में रखने के आरोप में कर्मचारी भानु प्रताप सहित सात जमीन कारोबारियों को गिरफ्तार किया. रिमांड पर इन अभियुक्तों से हुई पूछताछ के दौरान जमीन के मूल दस्तावेज में छेड़छाड़ करने में शामिल अन्य लोगों की जानकारी मिली.

इसके बाद ईडी ने 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थापित पीपीएस उदय शंकर के ठिकानों पर छापा मारा. इसमें यह जानकारी मिली कि जमीन कारोबारियों को प्रशासनिक मदद पहुंचाने के लिए वह अधिकारियों को फोन करता था. मुख्यमंत्री सचिवालय में आंतरिक कार्य व्यवस्था के तहत उदय शंकर को मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ पिंटू के साथ काम करने का निर्देश दिया गया था.

जमीन कारोबारियों से हुई पूछताछ के आधार पर इडी ने इसके बाद 26 अप्रैल को बिपिन सिंह सहित बजरा मौजा की 7.16 एकड़ जमीन आधे से भी कम कीमत पर खरीदनेवाले रवि भाटिया सहित कुछ जमीन दलालों के ठिकानों पर छापा मारा. छापामारी और जमीन कारोबारियों से मिली जानकारी के बाद इडी ने रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, विष्णु अग्रवाल, कोलकाता के एडिशनल रजिस्ट्रार, जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप घोष को समन जारी किया.

26 अप्रैल को हुई छापामारी का संबंध हेहल अंचल के मौजा बजरा की जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित था. इस ज़मीन के मामले में भी तत्कालीन आयुक्त ने जांच के बाद सरकार को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में छवि रंजन द्वारा 82 साल से चली आ रही जमाबंदी को गलत तथ्यों के आधार पर रद्द करने का उल्लेख किया था.

पूजा पर केस दर्ज नहीं करना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना : ईडी

ईडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के मद्देनजर पूजा सिंघल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करना सुप्रीम कोर्ट के अवमानना के समान है. ईडी की ओर से राज्य सरकार को भेजे गये रिमाइंडर में कहा गया है कि जांच के दौरान पूजा व अन्य के खिलाफ मिले तथ्यों को पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत सरकार के साथ साझा किया गया था.

ईडी ने नवंबर 2022 में जांच में मिले तथ्यों को सरकार के साथ साझा किया था. हालांकि सरकार ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की हैे. सरकार को भेजे गये पत्र में इस बिंदु पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवंबर 2013 में ललिता कुमारी बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिये गये फैसले का हवाला दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने साझा किये गये सूचनाओं के आलोक में दोषी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज का निर्देश दिया है. राज्य सरकार द्वारा पूजा पर केस दर्ज नहीं करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अवमानना के समान है.

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