झारखंड जमीन घोटाला मामला: सेना के कब्जेवाली जमीन का असली मालिक कौन ? वकील ने तैयार किया था फर्जी दस्तावेज
ईडी ने जयंत कर्नाड को समन पर पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ में यह जानकारी मिली कि जयंत भले ही इसे अपने नाना की संपत्ति बताते हों, लेकिन उनके पास इससे संबंधित कोई दस्तावेज नहीं थे
सेना के कब्जेवाली जमीन का असली मालिक जयंत कर्नाड भी नहीं है. वकील हिमांशु कुमार ने गलत और फर्जी दस्तावेज के सहारे जमीन को उनके पूर्वजों की संपत्ति बताते हुए न्यायिक आदेश से किराये का हकदार बनवा दिया था. किराया लेने का अधिकार मिलने के बाद जयंत कर्नाड ने 14 लोगों को कुल 16 सेल डीड के सहारे यह जमीन 2.55 करोड़ रुपये में बेच दी. इस रकम में से 1.20 करोड़ रुपये जयंत को मदद करनेवाले वकील ने ले लिये. नौ लाख रुपये तीन अन्य लोगों ने भी लिये. जयंत को 1.26 करोड़ रुपये मिले. इडी ने उक्त जमीन की खरीद-बिक्री की जांच के बाद यह खुलासा किया है.
जयंत कर्नाड के पास कोई दस्तावेज नहीं :
ईडी ने जयंत कर्नाड को समन पर पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ में यह जानकारी मिली कि जयंत भले ही इसे अपने नाना की संपत्ति बताते हों, लेकिन उनके पास इससे संबंधित कोई दस्तावेज नहीं थे. उनका दावा था कि यह संपत्ति उनके नाना बी मुकुंद राव की है. मुकुंद राव की सिर्फ एक बेटी मालती कर्नाड हैं, जो जयंत की मां हैं.
जयंत के पास इस संपत्ति पर अपनी दावेदारी पेश करने के लिए सक्सेशन सर्टिफिकेट भी नहीं है. पूछताछ में यह जानकारी मिली कि वकील हिमांशु कुमार ने जमीन पर उनकी दावेदारी के लिए आवश्यक दस्तावेज जुटाये थे. दस्तावेज गलत थे. हालांकि इसी के आधार पर हिमांशु कुमार ने जयंत को सेना से किराया लेने का अधिकार दिलया. वकील ने कोर्ट में सही तथ्य पेश नहीं किये.
दस्तावेज में हेराफेरी कर जमीन के मालिक का नाम बदल दिया
ईडी ने जमीन के मालिकाना हक की दावेदारी से संबंधित दस्तावेज की जांच में पाया कि रजिस्टर-टू के पेज नंबर 29 पर एमएस प्लॉट नंबर 557 के रैयत के रूप में बी मुकुंद राव का नाम दर्ज किया गया था. राव के नाम म्यूटेशन का आदेश म्यूटेशन केस नंबर 1298R27/60-61 के सहारे दिया गया था. जांच में पाया गया कि बड़गाईं अंचल के रजिस्टर-टू में इस म्यूटेशन के शहर अंचल के होने का उल्लेख किया गया है.
इस म्यूटेशन केस के सिलसिले में शहर अंचल से पूछा गया. शहर अंचल के अंचलाधिकारी ने 23 मई, 2023 के इडी के पत्र का जवाब देते हुए यह लिखा कि राज्य सरकार ने शहर अंचल का गठन ही 25 अक्तूबर 1970 को किया था. शहर अंचल ने 14 अप्रैल 1971 से काम करना शुरू किया. इसलिए इस म्यूटेशन केस का शहर अंचल से संबंधित होने का सवाल ही नहीं है. इडी ने जांच के दौरान न्यायालय के आदेश के आलोक में बड़गाईं के रजिस्टर-टू को गुजरात स्थित फॉरेंसिक लैब में भेजा.
लैब ने रजिस्टर-टू के पेज नंबर 249 की जांच के बाद पहले की लिखावट को मिटा कर बी मुकुंद राव का नाम लिखे जाने की पुष्टि की. फॉरेंसिक लैब ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि रजिस्टर के पेज नंबर 249 पर जिस स्याही से बी मुकुंद राव का नाम लिखा गया है, वह स्याही दूसरी लिखावटों की स्याही से मेल नहीं खाती है.
कर्नाड से इन लोगों ने जमीन खरीदी
राशि चेक नंबर तिथि नाम
60.00 लाख 283708 4-2-2019 हिमांशु कुमार मेहता
60.00 लाख 283707 7-2-2019 हिमांशु कुमार मेहता
2.50 लाख 252251 2-2-2019 श्रेष्ठा मेहता
2.50 लाख 283709 2-2-2019 मंजूश्री पात्रा
4.00 लाख 283710 7-2-2019 महतो पी देव
सीए नरेश केजरीवाल की पत्नी ने भी जमीन खरीदी
जयंत को वर्ष 1998 से 2008 तक बकाया किराया के मद में 50,640 रुपये मिले. उसने दिसंबर 2021 तक बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट नंबर 450110110002549 में सेना से किराया लिया. इस बीच जनवरी 2019 में जयंत ने सेना के कब्जेवाली जमीन 14 लोगों से 2.55 करोड़ रुपये में बेच दी. जमीन खरीदनेवालों में मनी लाउंड्रिंग के आरोपी सीए नरेश केजरीवाल की पत्नी माया केजरीवाल और बड़े कारोबारी स्व राजकुमार धानुका की पत्नी दीपशिखा धानुका का नाम भी शामिल है. जमीन बिकने के बाद फरवरी 2019 के पहले सप्ताह में इस राशि में से 1.20 करोड़ रुपये उसे मदद करनेवाले वकील ने ले लिये. इसके अलावा मंजूश्री पात्रा, श्रेष्ठा मेहता और महतो पी देव ने कुल नौ लाख रुपये लिये.