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रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन ने जालसाजी कर करायी थी बजरा मौजा की जमीन की घेराबंदी, ऐसे हुआ मामले का खुलासा

बजरा स्थित इस जमीन में जालसाजी की शिकायत मिलने के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने तत्कालीन आयुक्त को मामले की जांच का आदेश दिया था

रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने अपने कार्यकाल के दौरान हेहल अंचल के बजरा मौजा की 7.16 एकड़ जमीन की 82 साल पहले से चली आ रही जमाबंदी को रद्द करने का आदेश दिया. अंचल अधिकारी द्वारा तैयार सादा पंचनामा को सही करार देते हुए विनोद सिंह के नाम पर म्यूटेशन करने का आदेश दिया. इसके बाद विनोद सिंह से जमीन खरीदनेवालों के आवेदन पर 150 पुलिस जवानों को तैनात कर जमीन की घेराबंदी करवा दी. इस मामले में तत्कालीन आयुक्त ने सरकार से उपायुक्त सहित जालसाजी में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी. हालांकि सरकार ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

बजरा स्थित इस जमीन में जालसाजी की शिकायत मिलने के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने तत्कालीन आयुक्त को मामले की जांच का आदेश दिया था. सरकार के आदेश के आलोक में प्रमंडलीय आयुक्त ने उपायुक्त से दस्तावेज की मांग की, लेकिन उपायुक्त कार्यालय ने एक महीने तक दस्तावेज नहीं दिया. इस स्थिति को देखते हुए प्रमंडलीय आयुक्त ने उपायुक्त के नाम से अर्द्ध सरकारी पत्र जारी कर दस्तावेज की मांग की.

इसके बाद उपायुक्त ने जांच के लिए दस्तावेज प्रमंडलीय आयुक्त को भेजा. प्रमंडलीय आयुक्त ने जांच में पाया कि हेहल अंचल के बजरा मौजा के खाता नंबर 140 का प्लॉट नंबर 1323, 1324, 1333, 134, 1338 की जमीन खतियान में सीता राम साहू, ठाकुर दयाल साहू व अन्य के नाम पर दर्ज है. जमशेदपुर निवासी विनोद सिंह ने इस जमीन के म्यूटेशन अपने नाम पर करने के लिए अंचल अधिकारी (सीओ) के यहां म्यूटेशन केस (1214R-27/2015-16) दायर किया.

अंचल अधिकारी ने जमीन पर दखल कब्जा नहीं होने के आधार पर म्यूटेशन केस रद्द कर दिया. इसके बाद विनोद सिंह की ओर से भूमि सुधार उपसमाहर्ता की अदालत में म्यूटेशन अपील (139R-15/2015-16 )दायर किया गया. सुनवाई के दौरान भूमि सुधार उपसमाहर्ता ने जिला अवर निबंधक से जमीन के सिलसिले में रिपोर्ट मांगी. अवर निबंधक ने अपनी रिपोर्ट में दस्तावेज में छेड़छाड़ करने से संबंधित रिपोर्ट भेजी.

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि डीड नंबर 255,जिल्द संख्या-छह, पृष्ठ संख्या 133-134 वर्ष 1938 में छेड़छाड़ की गयी है. अत: दस्तावेज का सत्यापन नहीं किया जा सकता है. इस रिपोर्ट के आधार पर भूमि सुधार उप समाहर्ता ने भी म्यूटेशन अपील रद्द कर दी. इसके बाद विनोद कुमार ने उपायुक्त छवि रंजन के कोर्ट में म्यूटेशन अपील( 24R-15/2018-19) दायर किया. सुनवाई के दौरान विपक्ष की ओर से दस्तावेज में जालसाजी करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और समय सीमा समाप्त होने के बाद अपील दायर करने का मामला उठाया गया.

लेकिन उपायुक्त ने इस नजरअंदाज करते हुए अंचल अधिकारी से रिपोर्ट मांगी. अंचल अधिकारी ने मार्च 2016 का बना हुआ एक पंचनामा उपायुक्त को भेजा. इस पंचनामा में यह लिखा था कि विनोद सिंह व अन्य का संबंधित जमीन पर दखल कब्जा है. प्रमंडलीय आयुक्त ने जांच के दौरान पंचनामा पर हस्ताक्षर करनेवालों की तलाश की, लेकिन पंचनामा पर दस्तखत करनेवाले सभी फर्जी पाये गये. उपायुक्त ने इस फर्जी पंचनामा को सही मानते हुए 25 फरवरी 2021 को आदेश पारित किया.

उपायुक्त ने अपने आदेश में पहले से चली आ रही जमाबंदी को रद्द करते हुए विनोद सिंह के नाम म्यूटेशन करने का आदेश दिया. इस आदेश के आलोक में विनोद सिंह ने म्यूटेशन होने के एक महीने बाद ही जमशेदपुर निवासी रवि भाटिया और श्याम सिंह को सिर्फ 15.10 करोड़ रुपये में जमीन बेच दी. जबकि सर्किल रेट पर जमीन की कीमत 29.88 करोड़ रुपये है. जमीन खरीदने के बाद रवि भाटिया और श्याम सिंह ने जमीन पर विधि व्यवस्था की शिकायत उपायुक्त से की.

उपायुक्त ने अनुमंडल पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख कर इस समस्या के समाधान की अनुशंसा की. इसके बाद 150 पुलिस जवानों को विधि व्यवस्था के नाम पर तैनात किया गया और जमीन की घेराबंदी करवा दी गयी. प्रमंडलीय आयुक्त ने इस प्रकरण में उपायुक्त सहित दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की. लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की.

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