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Jharkhand News: दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर ऐसे हुई थी रांची की आर्मी जमीन की खरीद बिक्री

उप निदेशक कल्याण (दक्षिणी छोटानागपुर) ने सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री के आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है.

बरियातू रोड स्थित आर्मी के कब्जेवाली 4.44 एकड़ जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन की खरीद-बिक्री की गयी थी. सेना के कब्जे वाली जमीन का अपने नाम पर होल्डिंग नंबर लेने के लिए उसने जिफुल्लाह (वल्द हबीबुल्लाह) के कंज्यूमर नंबर में तकनीक के इस्तेमाल से पता बदल कर रामेश्वरम बरियातू कर दिया था. साथ ही सेना के कब्जेवाली इस जमीन को जगत बंधु टी स्टेट के नाम पर बेच दिया था.

उप निदेशक कल्याण (दक्षिणी छोटानागपुर) ने सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री के आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरहाबादी थाना नंबर 192, वार्ड नंबर 21, एमएस प्लॉट नंबर 557 (रकबा 4.44 एकड़), खतियान में प्रमोद नाथ दास गुप्ता का नाम दर्ज है.

खतियानी रैयत की मौत के बाद हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह जमीन मालती कर्नाड राव को मिली. उनकी मौत के बाद उनके पुत्र जयंत कर्नाड राव इस जमीन के उत्तराधिकारी हुए. यह जमीन 1943 से सेना के कब्जे में है. सेना द्वारा जमीन के खतियानी मालिक के उत्तराधिकारियों को 1960 तक 446 रुपये सालाना की दर से किराया दिया गया. बाद में किराया बढ़ कर 3600 रुपये सालाना हो गया. 1970 में किराया बढ़ा कर 12000 रुपये सालाना करने की मांग की गयी.

वर्ष 2007 में जमीन को सेना से मुक्त कराने के लिए हाइकोर्ट में याचिका (डब्ल्यूपीसी 1903/2007) दायर की गयी. अदालत ने सुनवाई के दौरान पहले चरण में 2008 तक किराया भुगतान का आदेश दिया. इसके बाद 11 मार्च 2009 को पारित आदेश में अदालत ने जमीन को जयंत कर्नाड के पक्ष में रिलीज करने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ सेना ने 2009 में अपील (एलपीए 205/2009) दायर किया. इसके बाद आइए 7440/2017 और सीएमपी 282/2017 दायर किया. हालांकि फैसला जयंत कर्नाड के पक्ष में ही रहा. जयंत कर्नाड ने वर्ष 2019 में सेना के कब्जे वाली यह जमीन 13 लोगों को बेची. जमीन खरीदनेवालों ने म्यूटेशन के लिए आवेदन दिया.

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