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झारखंड में स्थानीय भाषा का विवाद होगा शांत? सरकार उठाने जा रही है ये बड़ा कदम

झारखंड में भाषा विवाद को दूर करने के लिए झारखंड सरकार जिला स्तरीय नौकरियों में स्थानीय भाषा के चयन की समीक्षा करायेगी. ये बातें कल मंत्री आलम गीर आलम ने सदन में कही

रांची : जिला स्तरीय नौकरियों में क्षेत्रीय व स्थानीय भाषा के चयन की सरकार समीक्षा करायेगी. आबादी और नियमावली के अनुसार भाषाओं के चयन में हुई विसंगतियों को दूर किया जायेगा. संपूर्ण रूप से पूरे मामले को देखते हुए सरकार भाषाओं को हटाने या जोड़ने का काम करेगी. सोमवार को गोड्डा विधायक अमित कुमार मंडल के सवाल पर मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में बताया कि सारे पहलुओं को समाहित करते हुए सरकार इसकी समीक्षा करेगी़ जहां-जहां विसंगति है, वहां उसे दूर किया जायेगा.

भाजपा विधायक अमित मंडल ने सदन में मामला उठाते हुए कहा कि कुड़माली व कुरमाली भाषा को गोड्डा जिला में शामिल नहीं किया गया है. इससे तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में कुर्मी-महतो को वंचित होना पड़ेगा. 2011 की जनगणना के अनुसार वहां 32 हजार से ज्यादा महतो की आबादी थी़

फिलहाल आबादी 80 हजार पार होगी. एक बड़ी आबादी को अधिकार से वंचित किया जा रहा है़ इस भाषा को जोड़ा जाये़ विधायक सुदेश महतो का कहना था कि सरकार कुरमाली भाषा को अन्य जिलों में जोड़े. विधायक प्रदीप यादव का कहना था कि कुरमाली भाषा-भाषी की बड़ी संख्या है़ सरकार पूर्ण रूप से विचार करे, इस भाषा को जोड़े. विधायक अनंत ओझा का कहना था कि पूरे संतालपरगना में इस भाषा को जोड़ा जाये़

सरकार आबादी के अनुसार भाषा चयन की बात करती है, तो बतायें कि दुमका में कितने उर्दू भाषा बोलने वाले है़ं विधायक दीपिका पांडेय और भानु प्रताप शाही ने क्षेत्रीय भाषाओं की जिलावार सूची में सुधार करने की मांग की. भानु प्रताप शाही का कहना था कि सरकार नीतियां ही गलत बना रही है. मंत्री आलमगीर का कहना था कि सरकार पुराने सर्वेक्षण व नियमावली के आधार पर काम कर रही है़ बहुत कुछ जनसंख्या पर निर्भर करता है़

Posted By: Sameer Oraon

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