78 हजार किसानों की कर्ज माफी से जुड़ा 300 करोड़ रुपये का बिल 31 मार्च को ट्रेजरी में फंस गया. सरकार द्वारा भेजे गये बिल को ट्रेजरी ऑफिसर ने पास कर दिया, लेकिन उसे बैंक में नहीं भेजा. इससे 78 हजार से अधिक किसानों को वित्तीय वर्ष 2020-21 में कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल सका. निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, बिल को पास करने के बाद उसे बैंक में भेजना था. इसका विस्तृत ब्योरा बैंक को भेजने के बाद कर्ज माफी की रकम संबंधित किसानों के खाते में ट्रांसफर होनी थी. ट्रेजरी ऑफिसर ने कर्ज माफी से जुड़े बिल को पास कर दिया, लेकिन तकनीकी कारणों से उसे बैंक को नहीं भेजा. इससे किसानों को कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल सका. अब किसानों को कर्जी माफी की योजना का लाभ चालू वित्तीय वर्ष में दिया जायेगा.
सांकेतिक तौर पर की थी शुरुआत, पर रही विफल : सरकार ने किसानों के 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ करने की योजना बनायी थी. इसके लिए कृषि विभाग के बजट में 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी. बाद में सरकार ने 50 हजार के बदले एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की . योजना को लागू करने के लिए सरकार ने बैंकों से कर्जदार किसानों के खातों का ब्योरा मांगा.
बैंकों ने 12.93 लाख किसानों का लोन अकाउंट होने का ब्योरा सरकार को सौंपा. सरकार ने विचार करने के बाद वैसे किसानों को कर्ज माफी का लाभ नहीं देने का फैसला किया, जिनका लोन अकाउंट एनपीए हो चुका है. इस फैसले के मद्देनजर सरकार ने सिर्फ 9.07 लाख किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ देने की प्रक्रिया शुरू की. लेकिन बैंकों ने सभी किसानों का डिजिटल ब्योरा नहीं होने की जानकारी सरकार को दी. सरकार ने कर्ज माफी योजना में किसी तरह की गड़बड़ी से कर्जदार किसानों को डिजिटल सत्यापन करने का फैसला किया.
कर्ज की राशि कर्जदार
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~25,000 तक 3,59,971
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~25,000-50,000 तक 4,25,681
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~51000-एक लाख 4,46,420
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~1.10-1.50 लाख 53,184
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~1.51- दो लाख तक 5,681
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~2 लाख से अधिक 2,944
इसके लिए बैंकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया. बैंकों ने 9.07 लाख किसानों में से करीब 3.50 लाख किसानों का ही डिजिटल सत्यापन के बाद ‘इ-केवाइसी’तैयर कर सरकार को सूचित किया. बैंकों द्वारा इ-केवाइसी का काम पूरा नहीं करने के कारण सरकार ने योजना की शुरुआत करने के उद्देश्य से सांकेतिक तौर पर कुछ किसानों को कर्ज माफी का लाभ दिया. इसके बाद 31 मार्च को कर्ज माफी योजना का लाभ देने के लिए ट्रेजरी में बिल भेजा. लेकिन बिल ट्रेजरी में ही रह गया. – शकील अख्तर