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…तो खतरे में पड़ जायेगी अधिवक्ताओं की वकालत, इस महीने तक कराना होगा प्रमाण पत्रों का सत्यापन

रांची : झारखंड के अधिवक्ताओं के लिए अपने प्रमाण पत्रों की जांच कराना अनिवार्य हो गया है. ऐसा नहीं करने पर उनका लाइसेंस खतरे में पड़ जायेगा. वे वकालत नहीं कर सकेंगे. राज्य के 10 हजार से अधिक अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस खतरे में पड़ जायेगी. इन्हें एक मौका दिया गया है, ताकि वे अपने प्रमाण पत्रों की जांच करा सकें. इन्हें हर हाल में अगस्त 2020 तक अपने प्रमाण पत्रों की जांच करा लेनी होगी.

रांची : झारखंड के अधिवक्ताओं के लिए अपने प्रमाण पत्रों की जांच कराना अनिवार्य हो गया है. ऐसा नहीं करने पर उनका लाइसेंस खतरे में पड़ जायेगा. वे वकालत नहीं कर सकेंगे. राज्य के 10 हजार से अधिक अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस खतरे में पड़ जायेगी. इन्हें एक मौका दिया गया है, ताकि वे अपने प्रमाण पत्रों की जांच करा सकें. इन्हें हर हाल में अगस्त 2020 तक अपने प्रमाण पत्रों की जांच करा लेनी होगी.

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झारखंड के अधिवक्ताओं को प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा. इतना ही नहीं इनकी वकालत पर भी रोक लगा दी जायेगी. झारखंड बार कौंसिल राज्य के अधिवक्ताओं को अंतिम मौका दे रहा है.

झारखंड बार कौंसिल से करीब 30 हजार अधिवक्ता रजिस्टर्ड हैं. इनमें से अभी तक 19 हजार अधिवक्ताओं ने ही अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है. बार कौंसिल सभी जिलों के बार एसोसिएशन को प्रमाणपत्र सत्यापन कराने के लिए पत्र भेजता रहा है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया है.

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बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों के बार कौंसिल को अधिवक्ताओं के प्रमाण पत्रों‍ का सत्यापन कराने का निर्देश दिया है. इसके बाद झारखंड बार कौंसिल ने अधिवक्ताओं को आखिरी अवसर दिया है. इन्हें हर हाल में अगस्त तक प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराना होगा.

बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा देश के सभी विश्वविद्यालयों को राज्य की बार कौंसिल से भेजे गये प्रमाण पत्रों का महीनेभर में सत्यापन कर रिपोर्ट भेजने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल के वेरिफिकेशन रूल्स 2015 के तहत सभी बार कौंसिल को अधिवक्ताओं के प्रमाणपत्रों के सत्यापन को अनिवार्य बताया है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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