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झारखंड विधानसभा में वर्षों से एक ही विषय पर आ रहे गैर सरकारी संकल्प, कार्रवाई नहीं

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन गैर सरकारी संकल्प की कार्यवाही के दौरान प्रकाश में आया. विधायकों ने कहा मंत्री के आश्वासन मिलने के बाद की कोई कार्रवाई नहीं होती है.

रांची, सतीश कुमार : झारखंड विधानसभा में वर्षों से एक ही विषय को लेकर कई बार गैर सरकारी संकल्प आ रहे हैं. मंत्री के आश्वासन के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. बाध्य होकर विधायकों को फिर से इस मामले को सदन मं लाना पड़ता है. यह मामला झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन गैर सरकारी संकल्प की कार्यवाही के दौरान प्रकाश में आया. विधायकों ने कहा मंत्री के आश्वासन मिलने के बाद की कोई कार्रवाई नहीं होती है. इस पर स्पीकर रबिंद्रनाथ महतो ने कहा कि गैर सरकारी संकल्प के तहत आने वाले सभी मामलों की रिपोर्ट तैयार करायेंगे. कृत कार्रवाई प्रतिवेदन (एटीआर) जारी किया जायेगा. शुक्रवार को भाजपा विधायक जय प्रकाश पटेल ने विस्थापन आयोग के गठन का मामला उठाया था. कहा कि कई बार यह मामला सदन में आ चुका है.

इस मामले में मुख्यमंत्री का बयान आ गया है, विस्थापन आयोग का गठन किया जायेगा, लेकिन मंत्री की ओर से कहा जा रहा है कि फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. इसी प्रकार ढुल्लू महतो ने राज्य में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स के गठन करने की मांग की. कई बार इस मामले को लेकर उन्होंने सदन में उठाया है. इसके बावजूद कोयला का अवैध खनन का मामला और बढ़ गया है. इस पर सरकार की ओर से कहा कि प्रमंडल स्तर पर टॉस्क फोर्स बनाया गया है. अब राजस्व की वृद्धि पांच करोड़ से बढ़ कर नौ करोड़ हो गयी है.

झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम पेसा कानून को लागू करने का मामला उठाया. कहा कि बार-बार मंत्री की ओर से इस विषय पर भ्रमित किया जा रहा है. अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने बिहार सरकार की तर्ज पर झारखंड सरकार की ओर से संकल्प जारी करने की मांग की. विधायक अर्पणा सेनगुप्ता ने निरसा के वरबेंदिया पुल निर्माण का मामला उठाया. कहा कि वर्ष 2009 में पुल बह गया था. वर्ष 2022 में वरबेंदिया में नाव दुर्घटना होने से 14 लोगों की मौत हो गयी थी.

वर्षों से यह मामला लटका हुआ है. इस पर सरकार की ओर से बताया कि डीपीआर तैयार हो गया है. प्रशासनिक स्वीकृति प्रक्रियाधीन है. विधायक दशरथ गगराई ने खरसावां में हुए गोलीकांड में शहीद हुए लोगों के चिह्नितीकरण कार्य को आगे बढ़ाते हुए उनके आश्रित परिवार को सरकारी सहायता व मुआवजा उपलब्ध कराने की मांग की. इस पर मंत्री की ओर से बताया कि वर्ष 2015 से छानबीन चल रही है. अभी तक शहीद होने का साक्ष्य नहीं मिल पाया है.

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