सुनील कुमार झा, रांची
Ranchi News: झारखंड के मदरसों में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है. पिछले दस वर्षों में मदरसा से परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थियों की संख्या घटकर आधी से भी कम हो गयी है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, वर्ष 2013 की मदरसा की परीक्षा में कुल 33650 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, जो वर्ष 2022 में घटकर 12607 हो गये. इन दस वर्षों में मदरसा में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या में 50% से अधिक की कमी आयी है. मदरसा में वस्तानियां (कक्षा आठ ) से लेकर फाजिल (एमए) तक की पढ़ाई होती है. मदरसों में सभी कक्षाओं में पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है. 2022 की मदरसा के आलिम बीए ऑनर्स की परीक्षा में मात्र 41 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे.
राज्य में 180 मान्यता प्राप्त मदरसा
झारखंड में कुल 180 मान्यता प्राप्त मदरसा हैं. इन्हें एकीकृत बिहार के समय ही मान्यता प्राप्त है. इनके शिक्षकों को राज्य सरकार की ओर से सरकारी शिक्षक के अनुरूप वेतन मिलता है. मदरसा शिक्षकों को छठे वेतनमान के अनुरूप वेतन मिल रहा है. मध्य विद्यालय में छह व हाइस्कूल व प्लस टू विद्यालय स्तर के मदरसा में शिक्षकों के 12-12 पद स्वीकृत हैं. इन 180 मदरसों के अलावा झारखंड गठन के बाद 33 मदरसों को मान्यता मिली है. इन मदरसों को भी अनुदान मिलता है.
प्रति वर्ष 40 करोड़ का बजट
मदरसा के लिए राज्य में प्रति वर्ष लगभग 40 करोड़ का बजट स्वीकृत किया जाता है. ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के अनुसार, इनमें से आधी राशि प्रति वर्ष लैप्स कर जाती है. मदरसा में शिक्षकों और कर्मियों के आधे से अधिक पद रिक्त हैं. सरकार द्वारा स्वीकृत पद के अनुरूप वेतन के लिए राशि आवंटित होती है, पर शिक्षक व कर्मी के पद रिक्त होने के कारण पूरी राशि खर्च नहीं हो पाती .
विद्यार्थियों की संख्या में कमी का क्या है कारण
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ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव हामिद गाजी के अनुसार, मदरसा में पढ़नेवाले विद्यार्थियों को सरकारी योजना के तहत केवल मध्याह्न भोजन दिया जाता है. लेकिन मदरसा के बच्चों को पोशाक, किताब, छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
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मदरसा में शिक्षकों की कमी है. राज्य के 180 मदरसों में वर्तमान में लगभग 650 शिक्षक कार्यरत हैं. इस कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है. मदरसों में शिक्षकों की नियमित नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
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आलिम, फाजिल की डिग्री को मान्यता नहीं मिलना भी विद्यार्थियों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण है. आलिम व फाजिल स्नातक व स्नतकोत्तर स्तर की पढ़ाई है. इसकी परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर से होनी है, पर झारखंड में जैक द्वारा ही इसकी परीक्षा ली जाती है. इस कारण दोनों डिग्री को मान्यता नहीं मिलती. झारखंड के मदरसा से आलिम, फाजिल की डिग्री प्राप्त करनेवाले विद्यार्थी का आगे की पढ़ाई के लिए कहीं नामांकन नहीं होता है.
यह भी जानें
21000 कम हो गये विद्यार्थी पिछले 10वर्ष में
वर्ष 2013 में 33,650 परीक्षार्थी हुए थे शामिल, इस वर्ष 12,607 ने दी परीक्षा
वर्ष 2022 की आलिम ऑनर्स की परीक्षा में मात्र 41 परीक्षार्थी हुए शामिल
परीक्षार्थियों की संख्या
वर्ष 2013 वर्ष 2022
वस्तानियां (आठवीं) 14246 6270
फौकानियां(10वीं) 8607 4018
मौलवी (12वीं) 5234 1468
आलिम(बीए) 2472 562
आलिम(बीए ऑनर्स) 2199 41
फाजिल(एमए) 892 248