Jharkhand News: देसी शराब की कंपनी ही बनी 2021-22 में, दिखा दिया 3 साल का अनुभव, जानें क्या है मामला
झारखंड में देसी शराब बनाने की अनुमति के लिए आवेदन देनेवाली कंपनियों को अपने गठन के पहले से ही शराब बनाने का अनुभव था. उत्पाद विभाग द्वारा इन कंपनियों को सहमति पत्र/लेटर ऑफ इंटेट (एलओआइ) देने पर विचार करने के लिए राजस्व पर्षद को भेजे गये प्रस्ताव की समीक्षा के दौरान यह मामला पकड़ में आया है.
झारखंड में देसी शराब बनाने की अनुमति के लिए आवेदन देनेवाली कंपनियों को अपने गठन के पहले से ही शराब बनाने का अनुभव था. उत्पाद विभाग द्वारा इन कंपनियों को सहमति पत्र/लेटर ऑफ इंटेट (एलओआइ) देने पर विचार करने के लिए राजस्व पर्षद को भेजे गये प्रस्ताव की समीक्षा के दौरान यह मामला पकड़ में आया है. पर्षद ने इसे गंभीरता से लेते हुए यह टिप्पणी की है कि उत्पाद आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रस्ताव भेजने से पहले निर्धारित नियमों और शर्तों के आलोक में गहन समीक्षा नहीं की जाती है.
झारखंड देसी शराब उत्पादन, बॉटलिंग व भंडारण नियमावली-1918 व संशोधित नियमावली 2022 में शराब बनानेवाली कंपनियों को सहमति पत्र देने का प्रावधान है. इसके तहत आवेदन करनेवालों के पांच लाख रुपये के शुल्क के साथ देसी शराब बनाने की अनुमति के लिए आवेदन और आवश्यक दस्तावेज उत्पाद विभाग में सौंपना है. आवेदन के साथ तीन साल का आयकर, वाणिज्य कर, ‘बैलेंस शीट’ और आय-व्यय के ब्योरे से संबंधित दस्तावेज देने की बाध्यता है.
विभागीय स्तर पर आवेदनों की जांच-पड़ताल के बाद उसे राजस्व पर्षद की अनुमति के लिए भेजने का नियम है. इस नियम के आलोक में मेसर्स एनएस बॉटलिंग एंड बिवरेज प्रालि और सेफरॉन बिवरेज प्रालि ने विभाग में अपना-अपना आवेदन सौंपा. उत्पाद विभाग ने इसकी जांच और अपने कानूनी सलाहकार की राय के बाद उसे राजस्व पर्षद को भेजा. राजस्व पर्षद ने मामले की समीक्षा में पाया कि दोनों कंपनियों में से एक का गठन 2021 में और दूसरा गठन 2022 में हुआ था. इसके बावजूद विभाग ने इसे अपने कानूनी सलाहकार की राय के आलोक में नियम सम्मत बताते हुए राजस्व पर्षद के पास भेज दिया.
पहला मामला
मेसर्स एनएस बॉटलिंग एंड बिवरेज कॉरपोरेशन ने बोकारो के पिंडराजोरा थाना क्षेत्र के काशीझरिया में बॉटलिंग प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया था. उत्पाद विभाग ने कंपनी को सहमति पत्र देने के मामले में राजस्व पर्षद की सहमति मांगी थी. पर्षद ने प्रस्ताव की समीक्षा में पाया कि कंपनी नौ सितंबर 2022 को ही बनी थी. ऐसे में उसके पास तीन साल का अनुभव नहीं हो सकता. वहीं, उसकी बैलेंस शीट व आयकर विवरणी भी तैयार नहीं की जा सकती है. पर्षद ने अपनी टिप्पणी में लिखा : क्या ऐसे में यह कंपनी सरकार द्वारा निर्धाारित शर्तों के अनुरूप शराब उत्पादन में सक्षम होगी?
दूसरा मामला
मेसर्स सेफरॉन को सहमति पत्र देने से संबंधित प्रस्ताव की समीक्षा में राजस्व पर्षद ने पाया कि इस कंपनी का गठन 20 जनवरी 2021 को हुआ था. ऐसे में वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21 के आयकर सहित अन्य वित्तीय मामलों में पिछले तीन वर्ष का ब्योरा देना संभव नहीं है. फाइल में इससे संबंधित अद्यतन सूचना भी दर्ज नहीं है. विभाग के कानूनी सलाहकार ने भी उस ओर विभाग का ध्यान आकृष्ट नहीं कराया. मेसर्स सेफरॉन से संबंधित प्रस्ताव पर राजस्व पर्षद ने इससे पहले भी कई सवाल उठाये थे, लेकिन विभाग ने इसका संतोषप्रद उत्तर नहीं दिया.
राजस्व पर्षद ने समीक्षा के दौरान पकड़ी खामी
कंपनियों को एलओआइ देने पर विचार करने के लिए उत्पाद विभाग ने पर्षद को भेजा था प्रस्ताव
पर्षद ने की टिप्पणी : प्रस्ताव भेजने से पहले गहन समीक्षा नहीं करता है उत्पाद आयुक्त कार्यालय
रिपोर्ट- शकील अख्तर