रांची: झारखंड में शराब की खरीद-बिक्री की सरकारी व्यवस्था विफल हो गयी है. शराब की खरीद-बिक्री का काम ऑनलाइन मोड से मैनुअल पर चला गया है. ज्यादा मात्रा में शराब की खरीद करनेवाले बार और क्लबों को डिजिटल पेमेंट की सुविधा भी बंद कर दी गयी है. मनपसंद ब्रांड भी नहीं मिल रहे हैं. उपलब्ध ब्रांडों में भी राशनिंग कर चुनिंदा ब्रांडों की सप्लाई बार और क्लबों को दी जा रही है. बार और क्लबों को शराब की होलसेल खरीद पर मिलने वाली छूट बंद हो गयी है.
पहली मई से राज्य में शराब का कारोबार जेएसबीसीएल के माध्यम से हो रहा है. शराब की खुदरा दुकानों का संचालन मैनपावर एजेंसी के माध्यम से जेएसबीसीएल करा रहा है.
नयी नीति में शराब का डिपो बंद कर दिया गया है. होलसेल में शराब की खरीद करनेवाले बार व क्लबों को शराब की खुदरा दुकानों से टैग कर दिया गया है. बार व क्लबों को शराब की खरीद टैग की गयी दुकानों से नगद रकम देकर करनी पड़ती है. एक मई के पूर्व जब लाइसेंसियों के माध्यम से काम किया जा रहा था, तब ज्यादा मात्रा में शराब की खरीद करने के लिए ऑनलाइन परमिट जारी किया जाता था.
नयी शराब नीति के मुताबिक कुल पांच होलसेलरों के जरिये राज्य में शराब का थोक कारोबार किया जाना है. लेकिन, पांच की जगह केवल दो होलसेलरों के जरिये ही काम किया जा रहा है. जेएसबीसीएल द्वारा निकाले गये पांच जोन के टेंडर में से केवल दो जोन के लिए ही होलसेलर फाइनल किया जा सका. शेष तीन जोन के लिए अभी भी री-टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. फिलहाल, दो जोन के लिए चयनित होलसेलरों पर ही अन्य तीन जोन का बोझ देकर किसी तरह से काम चलाया जा रहा है.
नयी व्यवस्था को बेहतर बनाने में थोड़ा समय लगता ही है. वैसे, बाजार में सभी ब्रांड की शराब मिल रही है. बार और क्लबों में आवश्यकतानुसार आपूर्ति में थोड़ी परेशानी है. लेकिन, उसे भी ठीक किया जा रहा है. इस महीने भी बार व क्लबों को उनके कोटे के मुताबिक सप्लाई करने का आदेश दिया जा चुका है. ऑनलाइन सेवाओं की सुविधा कुछ दिनों के लिए अनुपलब्ध है. जल्द ही इसे फिर से शुरू कर दिया जायेगा.
– अमित कुमार, उत्पाद आयुक्त, झारखंड
Posted by: Sameer Oraon