रांची : प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में दर्ज इनफोर्समेंट केस इनफॉर्मेशन रिपोर्ट (इसीआइआर) में विभिन्न थानों में दर्ज 26 प्राथमिकी को शामिल किया था. इसमें से 11 मामलों में निचली अदालतों ने संज्ञान लिया था. झारखंड हाइकोर्ट ने इन 11 मामलों में निचली अदालतों द्वारा लिये गये संज्ञान को रद्द कर दिया है. ये मामले जामताड़ा जिले के अलग-अलग थानों में दर्ज कराये गये थे. हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश का मुख्य कारण पुलिस अधिकारियों द्वारा जब्त अवैध शराब की फोरेंसिक जांच नहीं कराना है.
ईडी ने शराब घोटाले की जांच के दौरान दर्ज इसीआइआर में थानों में दर्ज 26 प्राथमिकी को शामिल किया था. इन प्राथमिकियों में शराब व्यापारी योगेंद्र तिवारी और उससे संबंधित लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. ईडी द्वारा इसीआइआर में शामिल 26 में 11 प्राथमिकी जामताड़ा जिले के विभिन्न थानों में दर्ज की गयी थी. पुलिस ने जांच के बाद अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया था. इसी के आधार पर निचली अदालतों ने अभियुक्तों के खिलाफ संज्ञान लिया था. निचली अदालत की इस कार्रवाई को अभियुक्तों ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. अभियुक्तों की याचिका पर जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अभियुक्तों की ओर से यह दलील दी गयी कि जांच की अवधि में सभी व्यापारियों के पास शराब बेचने का लाइसेंस था.
पहले जारी लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के बाद सरकार ने उसका नवीकरण कर दिया था. पुलिस ने जांच के दौरान शराब के नकली होने का दावा किया था. साथ ही शराब की अवैध बिक्री के लिए साजिश रचने के आरोप में प्राथमिकी में आइपीसी की धारा 420 का इस्तेमाल किया था. अभियुक्तों की ओर से यह दलील भी दी गयी कि जब्त शराब को व्यापारियों के पक्ष में रिलीज कर दिया गया था. इसलिए इसके नकली होने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद निचली अदालत द्वारा जामताड़ा के 11 मामलों में लिये गये संज्ञान को रद्द कर दिया.