झारखंड शराब घोटाला: योगेंद्र तिवारी ने अफसरों व राजनेताओं के जरिए शराब कारोबार पर कायम किया था एकाधिकार
ईडी की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गयी कि योगेंद्र तिवारी ने अपने कर्मचारियों के नाम पर बैंक में खाता खोल रखा है, जिनमें गलत तरीके से अर्जित की गयी नकद राशि जमा करायी गयी. इसके बाद इससे ड्राफ्ट बना कर शराब के थोक व्यापार की लाइसेंस फीस जमा की गयी.
रांची: शराब माफिया योगेंद्र तिवारी ने बड़े अधिकारियों, राजनेताओं और प्रेम प्रकाश की मदद से वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य में शराब के व्यापार पर एकाधिकार कायम किया. उसका संबंध बालू के अवैध कारोबार के अलावा जमीन और शराब के कारोबार से है. उसने अपने कर्मचारियों के नाम पर कंपनी बना कर शराब का ठेका लिया था. इन कंपनियों का पूरा नियंत्रण योगेंद्र तिवारी के पास था. उसने ईडी की गतिविधियों से संबंधित सूचना जुटायी और छापामारी से पहले ही अपनी व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज व्यापारिक परिसरों से हटा दिये. इसके अलावा स्टॉक लाइसेंस में निर्धारित सीमा से अधिक प्रतिमाह 65000 टन बालू का स्टॉक किया. इडी द्वारा पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा की अदालत में योगेंद्र तिवारी को पेश करने के दौरान इन तथ्यों की जानकारी दी गयी. अदालत ने पूछताछ के लिए योगेंद्र तिवारी को आठ दिनों की रिमांड पर देने का आदेश दिया. रिमांड की अवधि 21 अक्तूबर से शुरू होगी.
ईडी ने कोर्ट को ये बताया
ईडी की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गयी कि योगेंद्र तिवारी ने अपने कर्मचारियों के नाम पर बैंक में खाता खोल रखा है, जिनमें गलत तरीके से अर्जित की गयी नकद राशि जमा करायी गयी. इसके बाद इससे ड्राफ्ट बना कर शराब के थोक व्यापार की लाइसेंस फीस जमा की गयी. तिवारी बंधुओं ने शराब दुकान में काम करनेवाले कर्मचारियों के नाम पर भी व्यापारिक प्रतिष्ठान बना रखे हैं. जांच में पाया गया कि कर्मचारियों के नाम पर खोले गये बैंक खाते और कंपनियों पर पूरी तरह तिवारी बंधुओं का नियंत्रण है. योगेंद्र तिवारी ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में अपनी और अपने कर्मचारियों के नाम पर बनी कंपनियों के नाम पर शराब के थोक व्यापार का ठेका हासिल किया. राज्य के बड़े अधिकारियों, राजनेताओं और पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश की मदद से उसने शराब के व्यापार पर एकाधिकार कायम कर लिया था.
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पकड़े जाने के डर से डिलीट कर दिये कई महत्वपूर्ण ई-मेल
जांच में पाया गया कि ई-मेल आइडी akeshrica@gmail.com और deoghar123@gmail.com से बालू व अन्य व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित फाइलें सीए अजय केसरी को भेजी गयीं. योगेंद्र तिवारी ने ई-मेल आइडी mihijam.123@gmail.co और mihijam.81@gmail.com सहित कुछ अन्य ई-मेल को डिलीट कर दिया है. पूछताछ के दौरान उसने संबंधित ई-मेल के सिलसिले में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया है. हालांकि, मामले में हुई पूछताछ के दौरान व्यापार से जुड़े दूसरे लोगों ने यह स्वीकार किया है कि संबंधित ई-मेल का इस्तेमाल योगेंद्र तिवारी द्वारा ही किया जाता है. ई-मेल आइडी amytsiyogendr1@gmail.com का इस्तेमाल भी योगेंद्र तिवारी ही अपनी व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए करता था. लेकिन वह अब इसकी भी जानकारी नहीं दे रहा है. 23 अगस्त को 33 ठिकानों पर छापामारी में योगेंद्र तिवारी के 12 परिसरों को शामिल किया गया था. उसके किसी भी ठिकाने पर उसकी व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले. छापामारी की संभावनाओं के मद्देनजर उसने मनी लाउंड्रिंग को साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज नष्ट कर दिये थे.
अदालत ने आठ दिनों की रिमांड की अनुमति दी
इडी की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गयी कि योगेंद्र तिवारी तथ्यों को छुपा रहा है. मामले में आगे की जांच के लिए उससे पूछताछ की जरूरत है. इसलिए न्यायालय उसे 14 दिनों की रिमांड पर देने का आदेश दे. न्यायालय ने रिमांड के मुद्दे पर योगेंद्र तिवारी का पक्ष सुनने के बाद आठ दिनों की रिमांड पर देने का आदेश दिया. साथ ही उसके वकील और पारिवारिक सदस्यों के दिन में उससे 30 मिनट मिलने की अनुमति दी.
ईडी ने इसीआइआर में 15 प्राथमिकियों को शामिल किया गया
ईडी की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि मनी लाउंड्रिंग के मामले की जांच के लिए 31 मार्च 2022 को इसीआइआर RNZO/09/2022 दर्ज किया गया था. इसमें सबसे पहले थानों दर्ज चार प्राथमिकी को शामिल किया गया था. इसमें जमीन हड़पने, फर्जी दस्तावेज के सहारे राय बंगला के नाम से चर्चित जमीन लेने, बालू के अवैध खनन और एक्साइज ड्यूटी एक्ट के तहत प्राथमिकी को शामिल किया गया. जांच के दौरान मिले तथ्यों के आधार पर इस इसीआइआर में जिले के थानों में दर्ज और 15 प्राथमिकियों को शामिल किया गया. इन प्राथमिकियों में शराब के व्यापार में गड़बड़ी, बिना चालान के बालू की बिक्री, स्टॉक लाइसेंस में निर्धारित सीमा से अधिक 65000 टन प्रतिमाह की दर से बालू जमा करने सहित अन्य प्रकार के आरोप लगाये गये हैं.