छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा ने 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें तत्कालीन उत्पाद मंत्री कवासी लखमा, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के अरुणपति त्रिपाठी, प्रिज्म होलोग्राम के विधु गुप्ता सहित कुल 70 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. अभियुक्तों की इस सूची में 26 सरकारी कर्मचारी हैं. इसमें आइएएस अधिकारियों के अलावा उत्पाद विभाग के विभिन्न स्तर के अधिकारी शामिल हैं. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले को अंजाम देनेवाले इसी सिंडिकेट ने झारखंड में शराब के व्यापार में सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत साझा की गयी सूचनाओं के आधार पर रायपुर थाने में यह प्राथमिकी जनवरी 2024 में दर्ज की गयी है. इसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन उत्पाद मंत्री, उत्पाद विभाग के अधिकारियों, सीएसएमसी एल के प्रबंध निदेशक के अलावा प्रिज्म होलोग्राम और मैन पावर सप्लाई करनेवाली कंपनियों ने सुनियोजित साजिश के तहत शराब घोटाले के अंजाम दिया है. कारोबारी अनवर ढेबर ने इस शराब सिंडिकेट को राजनीतिक संरक्षण दिया.
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में तत्कालीन उत्पाद मंत्री और उत्पाद आयुक्त को 50-50 लाख रुपये प्रति माह की दर से कमीशन का भुगतान किया जाता था. इडी ने शराब घोटाले की जांच के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव अनित टूटेजा की 15.76 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. सीएसएमसीएमल के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी की भी 1.35 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गयी है. श्री त्रिपाठी शराब के अवैध व्यापार को अंजाम देने के बदले 50 रुपये प्रति पेटी की दर से कमीशन लेते थे. अनवर ढेबर शराब व्यापारियों पर नजर रखता था और उनसे कमीशन की रकम की वसूली करता था.
प्राथमिकी में कहा गया है कि अवैध शराब का कारोबार सरकार के समानांतर चलाया जाता था. इसके लिए सरकार को दिये गये असली होलोग्राम के नंबरों का ही नकली होलाेग्राम प्रिज्म होलोग्राम द्वारा छाप कर उपलब्ध कराया जाता था. इन्हीं होलोग्राम के सहारे फैक्टरियों से शराब बना कर थोक व्यापारियों के माध्यम से खुदरा दुकानों तक पहुंचायी जाती थी. खुदरा दुकानों में मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को नकली होलोग्राम लगी शराब की बोतलों को बेचने में प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया था. इससे नकली होलोग्राम के सहारे बेची गयी शराब का हिसाब सरकार को नहीं मिलता था. शराब सिंडिकेट इसी पैसों का ऊपर तक बंटवारा करता था. सिंडिकेट द्वारा 2019-20 में औसतन प्रति माह 200 ट्रक अवैध शराब की ढुलाई और बिक्री की जाती थी. वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़ कर 400 ट्रक प्रति माह हो गयी थी.
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