झारखंड के नौकरशाहों को हमेशा रास आती रही है राजनीति, नौकरी छोड़ कई लड़ चुके हैं चुनाव
झारखंड में स्वास्थ्य सचिव और झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के चेयरमैन रहे बीके चौहान ने वीआरएस लेकर हिमाचल प्रदेश से चुनाव लड़ा.
रांची, विवेक चंद्र : झारखंड के नौकरशाहों की राजनीति में काफी दिलचस्पी रही है. यही वजह है कि वर्षों तक जनता के सेवक बने रहने के बाद अफसर राजनीति में भी अपना कैरियर बना रहे हैं. यहां के अफसरों को राजनीति बहुत रास आती है. राज्य गठन के बाद दर्जन भर से अधिक बड़े अधिकारी राजनीति की पिच पर बल्लेबाजी करने उतरे हैं. इनमें से करीब आधा दर्जन अफसरों ने चुनावी दंगल में जीत भी हासिल की है. हालांकि, राज्य में सांसद व विधायक का चुनाव लड़ना अधिकारियों के लिए नयी बात नहीं है.
दूसरे राज्यों में भी लड़ा है चुनाव :
झारखंड में अधिकारी के रूप में काम करने के बाद कई लोगों ने देश के दूसरे राज्य में जाकर चुनाव लड़ा है. झारखंड में स्वास्थ्य सचिव और झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के चेयरमैन रहे बीके चौहान ने वीआरएस लेकर हिमाचल प्रदेश से चुनाव लड़ा. भाजपा के टिकट पर विधायक भी बने. राज्य विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष रहे राजीव रंजन बिहार के इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर विधायक बने. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गये.
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इस बार भी चुनाव में किस्मत आजमायेंगे अफसर :
आनेवाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी कई अफसर अपनी किस्मत आजमायेंगे. लोकसभा चुनाव से पूर्व मत्स्य निदेशक राजीव कुमार ने दावेदारी पेश कर दी है. वह चतरा से चुनाव लड़ेंगे. कोल्हान के पूर्व आयुक्त विजय सिंह भी भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं. वह कोल्हान की किसी विधानसभा सीट से किस्मत आजमाने की सोच रहे हैं. हाल ही में डीआइजी पद से रिटायर संजय रंजन ने भी आजसू पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है.
नौकरी छोड़ राजनीति में उतरने वाले अफसर :
बंदी उरांव, यशवंत सिन्हा, डॉ रामेश्वर उरांव, अमिताभ चौधरी, डॉ अजय कुमार, बीडी राम, राजीव कुमार, जेबी तुबिद, लक्ष्मण सिंह, सुखदेव भगत, डॉ अरुण उरांव, लंबोदर महतो, बीके चौहान, राजीव रंजन, सभापति कुशवाहा, सुबोध प्रसाद, राजीव कुमार व सुचित्रा सिन्हा.