खूंटी लोकसभा सीट पर ईसाई वोटरों का बड़ा प्रभाव, पर नहीं मिल रहा है मौका

1962 और 1967 में जयपाल सिंह मुंडा खूंटी सीट से जीते. इसके बाद निरल एनम होरो (एनइ होरो) ने यहां से दो बार (1971 व 1980 में) जीत हासिल की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2024 8:40 AM

रांची: लोकसभा चुनावों में खूंटी झारखंड की हॉट सीट रही है. खूंटी ने देश स्तर के दिग्गज नेता दिये हैं. मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा से लेकर, एनइ होरो, कड़िया मुंडा और फिर अर्जुन मुंडा ने इस सीट से जीत कर केंद्र की राजनीति में अपनी जगह बनायी. इस क्षेत्र में ईसाई समुदाय का अच्छा प्रभाव रहा है. वहीं इस क्षेत्र में मिशनरियों ने काफी काम भी किया है. झारखंड के सवालों और मुद्दों पर जयपाल सिंह मुंडा के जमाने से खूंटी की धरती से आवाज बुलंद होती रही है.

1962 और 1967 में जयपाल सिंह मुंडा यहां से जीते. इसके बाद निरल एनम होरो (एनइ होरो) ने यहां से दो बार (1971 व 1980 में) जीत हासिल की. 1985 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस की इंट्री हुई और साइमन तिग्गा को उम्मीदवार बनाया. खूंटी संसदीय सीट से 1977 में कड़िया मुंडा जरूर चुनाव लड़े, लेकिन 60 से लेकर 80 के दशक तक खूंटी सीट पर ईसाई जनप्रतिनिधियों का ही दबदबा रहा. 1989 से लेकर 1999 तक कड़िया मुंडा भाजपा से लगातार जीतते रहे. वह सात बार खूंटी के सांसद रहे. 2004 में कांग्रेस से सुशीला केरकेट्टा आखिरी बार चुनावी जीतीें. 20 वर्ष बाद कोई ईसाई चेहरा तब चुनाव जीता था. ईसाई बाहुल्य इस सीट पर लंबे समय तक किसी को मौका नहीं मिला. खूंटी में कांग्रेस ने पिछले चुनाव में कालीचरण मुंडा को उम्मीदवार बनाया था.

ईसाई को उम्मीदवार बनाने की उठ रही थी मांग :

खूंटी सीट से ईसाई को उम्मीदवार बनाने की मांग लगातार उठ रही थी. खूंटी से झारखंड आंदोलनकारी प्रभाकर तिर्की भी कांग्रेस से भाग्य आजमाना चाहते थे. लेकिन देर रात कांग्रेस ने खूंटी से कालीचरण मुंडा को प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि श्री तिर्की के साथ पुराने झारखंड आंदोलनकारियों ने दबाव बनाया था. कांग्रेस ने हाल में ही सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला को पार्टी में शामिल कराया है. दयामनी बरला झारखंड के जन सवालों को लेकर हमेशा मुखर रही हैं. कांग्रेस इस इलाके में दयामनी बरला के सहारे ईसाइयों में अपनी पकड़ बनाना चाहती है. दयामनी को उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर भी प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक कई स्तरों पर बात चल रही थी.

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खूंटी में ईसाई निर्णायक भूमिका में : रतन तिर्की

सामाजिक कार्यकर्ता रतन तिर्की ने कहा कि खूंटी में पहले भी ईसाई प्रत्याशी उतर चुके हैं. इनमें साइमन तिग्गा, एनइ होरो जैसे नाम हैं. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से हालात बदले हैं. अब लंबे अरसे से चुनावों में कोई ईसाई प्रत्याशी नहीं उतरा है. पार्टियों की यह अदूरदर्शिता ही है, क्योंकि खूंटी के कई क्षेत्र ईसाई मतदाता बहुल है. यहां पर वे निर्णायक भूमिका में हैं. राजनीतिक पार्टियां अगर जमीनी स्तर पर काम करें, तो वह सही निर्णय ले पायेंगी.

हमने खूंटी में ईसाई प्रत्याशी उतारा है : निकोदिम

अबुआ झारखंड पार्टी के महासचिव निकोदिम लकड़ा ने कहा कि हमारी पार्टी ने ईसाई प्रत्याशी उतारा है. हमलोगों ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के पुत्र जयंत जयपाल सिंह मुंडा को प्रत्याशी बनाया है. दूसरी पार्टियां क्या सोच रही हैं, यह उनका मामला है. हमारा मानना है कि जयंत जयपाल सिंह झारखंडी जनभावनाओं को अच्छी तरह समझते हैं और खूंटी उनके पिता जयपाल सिंह की कर्मभूमि भी रह चुकी है, इसलिए हमलोगों ने उन्हें प्रत्याशी चुना है.

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