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झारखंड : भित्तिचित्र के माध्यम से खोरठा भाषा को संरक्षित करने में लगे हैं गीतकार विनय तिवारी

भित्तिचित्र देश-विदेश में चर्चित खोरठा लेखक, कवि एवं निर्देशक खोरठा गीतकार विनय तिवारी की रचना और संकलन पर आधारित है. विनय तिवारी नें बताया कि भित्तिचित्र बनाने का उद्देश्य समाज के बच्चों को सुंदर चित्रों के माध्यम से खेल-खेल में खोरठा भाषा का ज्ञान देना है. उनकी संस्कृति को बचाना है.

पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव पर जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है. धनबाद जिले के रोवाम गांव के निवासी झारखंड सरकार से सम्मानित कवि, साहित्यकार, निर्देशक एवं खोरठा भाषा के गीतकर विनय तिवारी निरंतर खोरठा भाषा के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास में लगे हैं. इसके लिए वे भित्तिचित्र की मदद ले रहे हैं. उनका मानना है कि इस पहल से वर्तमान पीढ़ी के साथ-साथ भविष्य भी भाषा एवं संस्कृति से मजबूती से जुड़ा रहेगा.

विलुप्त हो रही खोरठा भाषा के शब्दों को बचायें

‘खोरठा भाषा सीखें एवं विलुप्त होते खोरठा के शब्दों को बचायें’ की थीम के साथ चित्रात्मक पाठशाला सज-धजकर तैयार हो रही है. भित्तिचित्र पाठशाला के माध्यम से खोरठा समुदाय की विलुप्त हो रही भाषा को संरक्षित करने का अनूठा कार्यक्रम ‘विनय तिवारी खोरठा विकास एवं शोध केंद्र’ रोवाम धनबाद द्वारा चलाया जा रहा है. खोरठा गीतकार विनय तिवारी का उद्देश्य झारखंड की विशिष्ट कला संस्कृति को समृद्ध बनाना, ग्रामीणों को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाना है.

विनय तिवारी की मदद कर रहे हैं ये लोग

खोरठा पाठशाला के सफल संचालन में ‘विनय तिवारी खोरठा विकास एवं शोध केंद्र’ संस्था के संरक्षक कृष्ण कुमार तिवारी, उत्तम मुखर्जी, अभिनेता अमन राठौर, कोषाध्यक्ष राजीव तिवारी, लोकगायक घनश्याम महतो, ध्रुव चौबे, खोरठा फिल्म्स के प्रियतम कुमार पप्पू, समीर मंडल, राजरंजन तिवारी, रुद्रप्रताप तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका है. दीवारों पर सुंदर चित्रों को उकेरने का कार्य सुप्रसिद्ध चित्रकार दिनेश दास एवं उनके सहयोगी उमेश रविदास द्वारा की गयी है.

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झारखंड : भित्तिचित्र के माध्यम से खोरठा भाषा को संरक्षित करने में लगे हैं गीतकार विनय तिवारी 2

खेल-खेल में खोरठा भाषा का दे रहे ज्ञान

यह भित्तिचित्र देश-विदेश में चर्चित खोरठा लेखक, कवि एवं निर्देशक खोरठा गीतकार विनय तिवारी की रचना और संकलन पर आधारित है. विनय तिवारी नें बताया कि भित्तिचित्र बनाने का उद्देश्य समाज के बच्चों को सुंदर चित्रों के माध्यम से खेल-खेल में खोरठा भाषा का ज्ञान देना है. उनकी संस्कृति को बचाना है. सामान्य बोल-चाल की भाषा में इस्तेमाल होने वाले शब्दों की चित्रमय प्रस्तुति के साथ हिंदी, अंग्रेजी एवं खोरठा भाषा में रूपांतरण भी किया गया है. नयी पीढ़ी में खोरठा भाषा की जानकारी कम होती जा रही है.

घर में लोग खोरठा की जगह हिंदी बोलते हैं लोग

विनय तिवारी ने कहा कि आज लोग घरों में खोरठा की जगह हिंदी में बात कर रहे हैं. यही स्थिति रही, तो खोरठा भाषा जल्द ही लुप्त हो जायेगी. यूनेस्को द्वारा भी क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा को विलुप्त हो रही भाषाओं में शामिल किया गया है. अतः भित्तिचित्र के माध्यम से खोरठा भाषा का संरक्षण आसानी से किया जा सकता है. खोरठा गीतकार विनय तिवारी ने कहा कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं है. यह समाज की अस्मिता, निर्माण, विकास तथा सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्वपूर्ण साधन है.

विश्व की 600 भाषाएं हो गयीं विलुप्त

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व में बोली जाने वाली कुल भाषाओं की संख्या लगभग 6,900 है. इनमें से 90 फीसदी भाषाएं बोलने वालों की संख्या एक लाख से कम है. यूनेस्को के अनुसार, पिछली सदी में लगभग 600 भाषाएं लुप्त हो गयीं और हर दो सप्ताह में एक भाषा की दर से यह लुप्त होती जा रही है. ऐसा माना जा रहा है कि यदि भाषाओं को संरक्षित नहीं किया गया, तो इस सदी के अंत से पहले दुनिया की 90 प्रतिशत भाषाएं गायब हो जायेंगी.

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