झारखंड: 6 से 7 माह ही होती है मैट्रिक, इंटर के छात्रों की पढ़ाई, पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए चाहिए इतने दिन
फरवरी में मैट्रिक, इंटर की परीक्षा प्रस्तावित है. जबकि इससे पहले प्रायोगिक परीक्षा होगी. दिसंबर के बाद मैट्रिक व इंटर के विद्यार्थियों का स्कूल आना लगभग बंद हो जाता है. ऐसे में अगर देखा जाये तो जून से दिसंबर तक कक्षा संचालन होगा.
रांची, सुनील कुमार झा :
राज्य में मैट्रिक व इंटर के विद्यार्थियों का कक्षा संचालन छह से सात माह ही हो पाता है. हालांकि प्रावधान के अनुरूप, पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए वर्ष में 220 दिन का कक्षा संचालन होना है. जबकि राज्य में अधिकतम 120 से 130 दिन ही कक्षा का संचालन हो पाता है. राज्य में इस वर्ष नौवीं व 11वीं की परीक्षा अप्रैल में हुई थी, जबकि रिजल्ट जून में निकला था. 10वीं व 12वीं में विद्यार्थी जून में प्रमोट हुए.
अब परीक्षा फॉर्म अगले माह से जमा होगा. फरवरी में मैट्रिक, इंटर की परीक्षा प्रस्तावित है. जबकि इससे पहले प्रायोगिक परीक्षा होगी. दिसंबर के बाद मैट्रिक व इंटर के विद्यार्थियों का स्कूल आना लगभग बंद हो जाता है. ऐसे में अगर देखा जाये तो जून से दिसंबर तक कक्षा संचालन होगा. इस सात माह में कुल 214 दिन कार्य दिवस हैं. इसमें 82 दिन अवकाश है. कुल 132 दिन कक्षा संचालन होगा. 220 दिन के कोर्स पूरा करने के लिए 132 दिन ही कक्षा संचालन होगा.
बच्चों को अगस्त में मिली पुस्तकें
स्कूलों में इस वर्ष पुस्तकें भी समय पर नहीं मिली. अगस्त माह तक पुस्तकें वितरित की गयी. इस कारण भी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई. किताब नहीं मिलने के कारण लगभग तीन माह तक बच्चों को पढ़ाई में परेशानी हुई.
सीबीएसइ व आइसीएसइ स्कूलों में अप्रैल से कक्षा संचालन
सीबीएसइ व आइसीएसइ स्कूलों में कक्षा संचालन मार्च अंत या अप्रैल के प्रथम सप्ताह से शुरू होता है. पाठ्यक्रम समय पर पूरा कर प्री बोर्ड परीक्षा ली जाती है. प्री बोर्ड परीक्षा में बेहतर नहीं करने वाले विद्यार्थियों की तैयारी फिर से करा कर परीक्षा ली जाती है.
95 फीसदी से अधिक हो रहा रिजल्ट
कोविड काल में सीबीएसइ, आइसीएसइ के परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया. कोविड के बाद बोर्ड ने परीक्षा पैटर्न को पूर्ववत कर दिया. झारखंड में बदले हुए परीक्षा पैटर्न को बनाये रखा गया. इस कारण मैट्रिक का रिजल्ट 95 फीसदी से अधिक होने लगा. सीबीएसइ से जैक बोर्ड के परीक्षार्थियों का पास प्रतिशत अधिक रहता है. जबकि इससे पहले मैट्रिक में पास प्रतिशत 75 फीसदी रहता था.
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में 10वीं के बच्चे कमजोर
राज्य में एक ओर जहां मैट्रिक के रिजल्ट के प्रतिशत में वृद्धि हो रही है, तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे के अनुसार, कक्षा 10वीं के बच्चे पढ़ाई में कमजोर हुए है. वर्ष 2021 की परीक्षा में वर्ष 2017 की तुलना में विद्यार्थियों को कम अंक मिले.
16 जिलों का रिजल्ट राष्ट्रीय औसत से पीछे :
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में राज्य के 24 में से 16 जिला का रिजल्ट राष्ट्रीय औसत से कम है. जिलावार रिजल्ट में राष्ट्रीय स्तर पर जिलों का औसत प्राप्तांक 37.8 है.
छात्रवृत्ति के लिए नहीं मिलते बच्चे
मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए विद्यार्थी नहीं मिलते. योजना के तहत प्रति वर्ष छात्रवृत्ति के लिए पांच हजार विद्यार्थी का चयन किया जाना है. चयनित विद्यार्थी को कक्षा नौवीं से 12वीं तक के लिए प्रति वर्ष 12 हजार रुपये छात्रवृत्ति मिलती है. पर पिछले वर्ष 3700 विद्यार्थी ही चयनित हो सके थे.