रांची : हजारीबाग, दुमका व पलामू स्थित तीन नये मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के सत्र 2020-21 के नामांकन पर नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) ने रोक लगा रखी है. तीनों मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटें हैं. यानी एनएमसी द्वारा लगायी गयी रोक के कारण झारखंड के 300 विद्यार्थी अपने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने से वंचित हो जायेंगे.
इधर, नीट में सफल अभ्यर्थियों के एडमिशन के लिए सेंट्रल कोटा की 15 प्रतिशत सीटों के लिए काउंसेलिंग चल रही है. लेकिन, इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में जिन अभ्यर्थियों ने दाखिले की इच्छा जतायी थी, उन्हें मौका नहीं मिल रहा है. स्टेट कोटा की 85 प्रतिशत सीटों के लिए भी काउंसेलिंग की तिथि भी जल्द घोषित होगी. ऐसे में छात्र असमंजस में हैं कि इन तीनों नये मेडिकल कॉलेजों का विकल्प भरे या नहीं?
तीनों मेडिकल कॉलेजों का उदघाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने 17 फरवरी 2019 को किया था. इन कॉलेज में एमबीबीएस में सत्र 2019-20 के लिए 100-100 सीटों पर एडमिशन भी हुआ. पर इसी साल 15 अक्तूबर को एनएमसी के सचिव डॉ आरके वत्स ने इन कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर व अन्य पदों के रिक्त होने को आधार बनाते हुए वर्ष 2020-21 से एमबीबीएस में नये एडमिशन पर रोक लगा दी है.
इस बाबत तीनों मेडिकल कॉलेज के डीन व प्रिसिंपल को अलग-अलग पत्र भेजा गया था. एनएमसी के सचिव ने लिखा था कि 14 फरवरी को ही कई कमियां गिनायी गयी थीं. इससे पहले सत्र 2019-20 में ही दाखिले के पूर्व सुप्रीम कोर्ट में ही सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि तीन महीने में सभी कमियों को दूर कर लिया जायेगा. लेकिन, आज तक उन कमियों को दूर नहीं किया गया. इस कारण एनएमसी द्वारा इस सत्र 2020-21 में दाखिले पर लगायी जा रही है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पांच नवंबर को एनएमसी के चेयरमैन डॉ सुरेश चंद्र शर्मा को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने दुमका, पलामू और हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में एडमिशन की अनुमति देने का आग्रह किया है.
कहा है कि जनजातीय और पिछड़ा राज्य के गरीब छात्रों के हित को देखते हुए एनएमसी अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और नये दाखिला की अनुमति प्रदान करे. सीएम ने एनएमसी द्वारा उठायी गयी आपत्ति को 30 नवंबर तक पूरा करने का वादा भी किया है. साथ ही सभी रिक्त पदों को भरने की बात भी कही है. मुख्य सचिव ने भी केंद्रीय अधिकारियों से बात की, लेकिन अब तक एनएमसी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
कॉलेज सीट
रिम्स रांची 180
एमजीएम जमशेदपुर 100
पीएमसीएच धनबाद 50
एम्स देवघर 100
टाटा मणिपाल मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर 150
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज 100
पलामू मेडिकल कॉलेज 100
दुमका मेडिकल कॉलेज 100
फूलो-झानो मेडिकल कॉलेज, दुमका में प्रोफेसर के 18,एसोसिएट प्रोफेसर के 21, असिस्टेंट प्रोफेसर के 21, ट्यूटर के 12, सीनियर रेसिडेंट के 10, जूनियर रेसिडेंट के 42 व पारा मेडिकल स्टाफ के 171 पद रिक्त हैं. कमोबेश यही स्थिति पलामू और हजारीबाग मेडिकल कॉलेजों की भी है.
विभाग से बताया गया कि जेपीएससी के माध्यम से हजारीबाग, दुमका व पलामू मेडिकल कॉलेज के लिए साक्षात्कार लेकर पद भरे गये थे. पर दुमका, पलामू और हजारीबाग में प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं रहना चाहते हैं. हालांकि, इस बार इन पदों पर वेतन भत्तों में वृद्धि का प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार कर वित्त विभाग की मंजूरी के लिए भेजा गया है.
देवघर में अभी एम्स का अपना भवन नहीं है. वहां भी सत्र 2019-20 से एमबीबीएस के लिए दाखिला शुरू हुआ. इस वर्ष भी देवघर एम्स में दाखिला लिया जा रहा है. जिन कमियों की बात कह कर एनएमसी ने राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पर रोक लगायी है, वे देवघर एम्स में भी हैं. लेकिन वहां रोक नहीं लगी है.
जमशेदपुर के बारीडीह में खुले मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज में भी एनएमसी ने एडमिशन पर रोक लगा दी थी. एनएमसी का तर्क था कि मणिपाल को दूसरे राज्य में कॉलेज खोल कर एडमिशन लेने का अधिकार नहीं है. जबकि, मणिपाल का तर्क था कि मणिपाल को उत्कृष्ट संस्थान का दर्ज मिल चुका है. उत्कृष्ट संस्थान पर यूजीसी और एनएमसी की गाइडलाइन लागू नहीं होती. इस बात को लेकर मणिपाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नामांकन पर लगी रोक हटा ली गयी है. यहां 150 सीटें हैं.
posted by : sameer oraon