रांची: मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत एमबीबीएस के विद्यार्थियों को किसी भी परीक्षा में अब पांच अंक के ग्रेस मार्क्स नहीं मिलेंगे. एमबीबीएस के छात्रों को पिछले लगभग 40 साल से मिल रही यह सुविधा अब समाप्त हो जायेगी. नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की नयी गाइडलाइन को रांची विवि में भी लागू किया जायेगा. एनएमसी के इस नयी गाइडलाइन पर रांची विवि प्रशासन द्वारा भी एक-दो दिनों में मुहर लगा दी जायेगी. एनएमसी ने रांची विवि को नयी गाइडलाइन भेजते हुए इस पर अमल करने के लिए कहा है.
अब तक ग्रेस मार्क्स मिलने से विद्यार्थियों को कई बार पास होने में सहायता मिल जाती थी. लेकिन गाइडलाइन के मुताबिक ‘नो ग्रेस मार्क्स’ का निर्देश जारी कर दिया गया है. बताया जाता है कि इस नयी गाइडलाइन के लागू होने से मेडिकल के विद्यार्थियों को पास होने के लिए मुख्य परीक्षा और पूरक परीक्षा का ही विकल्प रहेगा. विद्यार्थियों को अब फाउंडेशन कोर्स के तौर पर आयुर्वेद और होम्योपैथी की पढ़ाई का भी शामिल किये जाने की संभावना है.
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वहीं, फाइनल एमबीबीएस में सर्जरी और मेडिसीन, गायनोकोलॉजी विषय 18 महीने का होगा. प्रथम एमबीबीएस के विद्यार्थियों को अब 1521 घंटे यानि 39 हफ्ते की पढ़ाई करनी होगी. इलेक्टिव परीक्षा यानि शोध के विषय के लिए विद्यार्थियों एक माह का अतिरिक्त समय मिलेगा. इतना ही नहीं गाइडलाइन के मुताबिक पूर्व की तरह प्रत्येक विद्यार्थी को तीन परिवार को तीन वर्ष तक गोद लेकर उनके खान-पान से लेकर उनकी बीमारी, पोषण आहार आदि की गतिविधि पर नजर रखनी होगी. फाउंडेशन कोर्स में डॉक्टर को अब मरीजों से संवाद को भी कोर्स में शामिल किया जायेगा. इसके अलावा एमबीबीएस के विद्यार्थियों को खेलकूद, योगा से भी जोड़ने का प्रावधान किया गया है.
इंटरनल व एक्सटर्नल एग्जामिनर विवि द्वारा स्वीकृत सूची से होंगे
एमबीबीएस के विद्यार्थियों के लिए इंटरनल व एक्सटर्नल एग्जामिनर की सूची विभाग द्वारा डीन को तथा डीन द्वारा विवि को भेजेंगे. विवि द्वारा स्वीकृत सूची/नाम के आधार पर ही अब कॉलेज को एग्जामिनर बुलाने होंगे. इंटरनल व एक्सटर्नल एग्जामिनर अब संबंधित विषय के ही होंगे. इसका अलावा इंटरनल व एक्सटर्नल एग्जामिनर अब रोटेशन के आधार पर बदले जायेंगे.