बीते दिनों में तामिलनाडु में प्रवासी मजदूरों को हिंदी बोलने पर पीटने और प्रताड़ित करने का मामला सुर्खियों में था. इसका असर ये हुआ कि विधानसभा में ये मामला गूंज उठा. अब इस मामले में तामिलनाडु पुलिस ने बड़ा खुलासा करते हुए इसे एक महज अफवाह बताया है. गौरतलब है कि बीते दिनों सोशल मीडिया पर झारखंड का एक प्रवासी मजदूर तामिलनाडु में हिंदी बोलने पर प्रताड़ित होने की बात कहकर राज्य सरकार से सहायता मांगी थी.
प्रवासी मजदूरों से मारपीट का वीडियो सामने आने के बाद तामिलनाडु पुलिस हरकत में आ गयी और जांच पड़ताल शुरू किया, जिसमें पता चला कि फेक वीडियो बनाने वाला शख्स झारखंड का मनोज यादव है. पुलिस ने जब कड़ाई से जांच-पड़ताल की, तब उन्होंने बताया कि वो और उनके दोस्तों ने सिर्फ फेमस होने के इरादे से ऐसा किया. फिलहाल मनोज पुलिस की गिरफ्त में है. पुलिस को उन्होंने ये भी बताया कि वो इस राज्य में पिछले 26 वर्षों से है, और उन्हें कोई परेशानी नहीं है. बस, लोकप्रियता के लालच में उन्होंने ऐसा कर दिया. मनोज ने अपनी इस हरकत के लिए माफी मांगी है.
तामिलनाडु पुलिस ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा कि झारखंड का एक श्रमिक मनोज यादव आज ख्याति पाने के लिए एक झूठा वीडियो बनाया. इस वीडियो में वह अपने आप को तमिल लोगों द्वारा मारे जाने की एक्टिंग की है. उस वीडियो को सोशल मीडिया में अपलोड करके झारखंड सरकार से अपील करता है कि मुझे वापस झारखंड बुला लिया जाए. जब पुलिस ने इस वीडियो का अनुसंधान किया तो पाया कि झारखंड का श्रमिक मनोज यादव झूठी प्रसिद्धि पाने के लिए इस वीडियो को बनाया.
यह है झूठ भ्रम और अफवाह वाले वीडियो का दुष्परिणाम. आप कभी भी झूठ, भ्रम और अफवाह फैलाने वाले वीडियो पर भरोसा न करें. भविष्य में भी बहुत सारे अपराधी बहुत तरह के झूठ और भ्रम फैलाने वाले वीडियो को अपलोड करेंगे.
तामिलनाडु पुलिस ने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना जांचे कभी भी किसी भी वीडियो खबर और समाचार पर भरोसा ना करें. अपराधी मनोज यादव को, जिसने आज झूठी ख्याति पाने के लिए एक भ्रामक और झूठा वीडियो बनाया था, उसे गिरफ्तार करके तांबरम पुलिस ने जेल भेज दिया है. सभी अपराधियों को चेतावनी दी जाती है कि वह किसी भी तरह का झूठा और भ्रम फैलाने वाला वीडियो अपलोड ना करें. नहीं तो उस पर तामिलनाडु पुलिस कठोर कानूनी कार्रवाई करेगी.
दरअसल कुछ दिनों पहले तामिलनाडु से 2 वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. जिसमें दावा किया गया था कि झारखंड बिहार के कई प्रवासी मजदूरों के साथ यहां पर मारपीट हो रही है. क्योकि वो हिंदी बोलते हैं. इसके बाद गिरफ्तार शख्स मनोज और उनके दोस्तों ने मिलकर राज्य सरकार से मदद की अपील की. जिसके बाद झारखंड सरकार और प्रशासन हरकत में आ गयी. इसका असर अन्य प्रवासी मजदूरों पर पड़ा. और वे वापस अपने राज्य की ओर रुख करने लगे.