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Jharkhand News: खदान लीज मामले में सरकार ने आयोग को भेजे बसंत सोरेन के माइनिंग लीज दस्तावेज

Jharkhand News, Mining Lease: खदान लीज मामले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन मुश्किल में पड़ते नजर आ रहे हैं. बसंत सोरेन के माइनिंग लीज से संबंधित दस्तावेज को चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से मांगे थे. बता दें, इसकी शिकायत राज्यपाल रमेश बैस तक पहुंची थी.

By Prabhat Khabar News Desk | April 28, 2022 6:33 AM

Jharkhand News, Mining Lease: सरकार ने दुमका से झामुमो विधायक बसंत सोरेन के माइनिंग लीज़ से संबंधित दस्तावेज चुनाव आयोग को भेज दिया है. राज्यपाल द्वारा की गयी अनुशंसा के आलोक में चुनाव आयोग से सरकार ने माइनिंग लीज से जुड़े सभी दस्तावेज मांगे थे. राज्य सरकार ने बसंत सोरेन के माइनिंग लीज से संबंधित दस्तावेज की सर्टिफाइड कॉपी चुनाव आयोग को भेजी है.

पार्टनरशिप डीड और राजस्व बकाया से संबंधित कागजात

इसमें लीज के आवेदन,संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा लिखी गयी टिप्पणी के अलावा पार्टनरशिप डीड और राजस्व बकाया से संबंधित कागजात भी शामिल है. भाजपा नेताओं ने विधायक बसंत सोरेन को अयोग्य घोषित(सदस्यता समाप्त) करने की मांग करते हुए राज्यपाल से शिकायत की थी. राज्यपाल ने संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इस मामले में अंतिम फैसला के लिए चुनाव आयोग को भेज दिया था.

माइनिंग कपंनी में पार्टनर हैं बसंत, 14 करोड़ रुपये बकाया

राज्यपाल को सौंपे गये शिकायत पत्र में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल की कंपनी मेसर्स चंद्रा स्टोन के साथ बसंत सोरेन ने पार्टनरशिप किया है. इस कंपनी के मालिक दिनेश कुमार सिंह हैं. इसके साथ ही बसंत सोरेन पार्टनरशिप में मेसर्स ग्रैंड माइनिंग नामक कंपनी भी चलाते हैं. पाकुड़ में चल रही इस कंपनी में भूपेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह और बसंत सोरेन पार्टनर हैं.

इस कंपनी पर खान विभाग का 14 करोड़ रुपये बकाया है. इस बकाये के खिलाफ बसंत सोरेन ने हाइकोर्ट में तीन याचिका दायर की थी. फरवरी 2020 में हाइकोर्ट ने कंपनी को उपायुक्त के समक्ष अपना पक्ष पेश करने काे कहा था. साथ ही 15 दिन के भीतर उपायुक्त को बकाया वसूली का आदेश दिया था.

आरोप यह है कि हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री व खान मंत्री होने की वजह से वसूली की कार्रवाई नहीं हुई. राज्यपाल को भेजे गये पत्र में बसंत सोरेन को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए में निहित प्रावधानों के तहत अयोग्य घोषित करने की मांग की गयी है.

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