रांची : राज्य सरकार द्वारा दोबारा भेजे गये झारखंड (भीड़, हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक और झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक राजभवन में ही है. जबकि 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति से संबंधित विधेयक राजभवन द्वारा अटॉर्नी जनरल की राय के साथ इस बार राज्य सरकार की जगह विधानसभा के पास वापस भेज दिया गया है. बताया जाता है कि पूर्व में 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति से संबंधित विधेयक सहित झारखंड (भीड़, हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण) विधेयक अौैर पदों अौर सेवाअों की रिक्तियों में झारखंड आरक्षण (संशोधन) विधेयक को राजभवन द्वारा आपत्ति के साथ राज्य सरकार को वापस कर दिया गया था.
इस पर सरकार व विधानसभा के विभिन्न स्रोतों द्वारा कहा गया कि राजभवन द्वारा तीनों विधेयक पर बिना किसी संदेश के राज्य सरकार को वापस किया गया है. जबकि राजभवन को इसे विधानसभा के पास भेजना चाहिए था. इसी क्रम में राजभवन ने तीन में से एक 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति से संबंधित विधेयक को पूर्व में की गयी आपत्ति व अटॉर्नी जनरल की राय के साथ इस बार विधानसभा को लौटा दिया है. बचे हुए अन्य दोनों विधेयकों पर भी शीघ्र निर्णय लेकर विधानसभा के पास भी भेज दिया जायेगा. इसी तरह राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता का विस्तार विधेयक पर अटॉर्नी जनरल द्वारा आरक्षण से संबंधित ब्योरा मांगे जाने पर राजभवन ने सरकार से रिमाइंडर के साथ इसकी जानकारी मांगी, लेकिन राज्य सरकार ने राजभवन को ब्योरा ही उपलब्ध नहीं कराया.