Jharkhand Monsoon: बरसात में ओढ़ें सेहत की छतरी, बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई है जरूरी
मानसून की बारिश की वजह से मौसम में बदलाव हुआ है. इससे लोगों की तबीयत बिगड़ रही है. ऐसे में घर के आस-पास जलजमाव को रोकना होगा. बारिश में खान-पान, शुद्ध पेयजल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इस मौसम में बच्चों की विशेष निगरानी और उनके रहन-सहन पर ध्यान देने की जरूरत है.
Jharkhand Monsoon: बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव वाला क्षेत्र बनने और साइक्लोनिक सर्कुलेशन का रास्ता ओडिशा व आंध्रप्रदेश की तरफ रहने से इसका आंशिक असर झारखंड पर पड़ा है. फलस्वरूप आकाश में बादल छाये हुए हैं और कहीं-कहीं रूक-रूक कर बारिश हो रही है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में एक जून से 26 जुलाई तक 238.8 मिमी बारिश ही हुई है. जबकि इस समय का सामान्य वर्षापात 455.9 मिमी है. यानि झारखंड में मानसून के आने से अब तक लगभग 48 प्रतिशत कम बारिश हुई है. मौसम विभाग ने फिलहाल मानसून के कमजोर रहने तथा 28 जुलाई 2023 से एक बार फिर इसके वापस लौटने की बात कही है. मानसून के सक्रिय होने से राज्य के अधिकांश जिलों में दो से तीन दिनों तक लगातार बारिश हो सकती है. इधर बुधवार को रांची का अधिकतम तापमान 28.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि जमशेदपुर का अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस और मेदिनीनगर का अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस रहा.
इधर, उमस भरी गर्मी और मानसून की बारिश की वजह से मौसम में बदलाव हुआ है. इससे लोगों की तबीयत बिगड़ रही है. बारिश का समय कई जलजनित बीमारियों को दावत देता है. कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति में संक्रमित बीमारी का खतरा रहता है. डॉक्टरों के अनुसार बारिश के दिनों में दूषित पानी के इस्तेमाल से तबीयत बिगड़ जाती है. डायरिया, चर्म रोग, डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारी भी खतरा रहता है. इस स्थिति में एहतियात ही बचाव का सबसे बेहतर उपाय है. घर के आस-पास जलजमाव को रोकना होगा. बारिश में खान-पान, शुद्ध पेयजल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इस मौसम में बच्चों की विशेष निगरानी और उनके रहन-सहन पर ध्यान देने की जरूरत है.
जाॅन्डिस और चर्म रोग का खतरा ज्यादा
बरसात में जाॅन्डिस, डायरिया, चर्म रोग जैसी बीमारी की खतरा बना रहता है. इन बीमारियों से बचाव के लिए सावधानी जरूरी है. साथ ही इनके लक्षणों को ध्यान में रखना होगा. त्वचा का पीला पड़ना, सफेद आंख, भूख कम लगना, तेज बुखार, पीला पेशाब, अत्यधिक सिर दर्द, कब्ज, लीवर में दर्द जैसी समस्याएं दूषित पानी के पीने से हो सकती हैं. इसका इलाज नहीं कराने पर आगे चलकर यह लीवर और पथरी की समस्या बन सकती है. असंतुलित भोजन इन बीमारियों के बड़े कारण हैं. इसलिए बच्चों और बुजुर्गों को संतुलित आहार देना चाहिए.
डायरिया और चर्म रोग से ऐसे बचें
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पेट दर्द, तेज बुखार, भूख न लगना, पतली दस्त जैसे लक्षण हैं, तो दूषित पानी के इस्तेमाल से बचें.
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बारिश में भीगने पर घर आकर हल्के गर्म पानी से स्नान करें, इससे संक्रमण से बचा जा सकता है.
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शरीर में किसी भी हिस्से में खुजली की समस्या हो, तो एंटी बैक्टिरियल पाउडर का इस्तेमाल करें, लगातार खुजली करने से बचें.
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घरों में मौजूद पानी टंकी या पानी स्टोर करनेवाली जगह की नियमित सफाई जरूरी है
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बासी या स्ट्रीट फूड से दूरी बनाकर रहें.
संक्रमित बीमारी है कंजंक्टिवाइटिस
बारिश के दिनों में कंजंक्टिवाइटिस या आइ फ्लू की समस्या आम है. शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में कंजंक्टिवाइटिस की समस्या के साथ मरीज ज्यादा पहुंच रहे हैं. हाथ से आंख तक पहुंचने वाली यह एक संक्रमण युक्त बीमारी है. कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित व्यक्ति की आंखों में जलन, दर्द और आंखों के लालपन जैसी समस्या हो सकती है. यह सामान्यत: एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है, जो बैक्टीरिया से फैलता है. कंजंक्टिवाइटिस की शुरुआत एक आंख से ही होती है और जल्द ही यह दूसरी आंख को भी संक्रमित कर देती है. यह समस्या श्वसन तंत्र या नाक-कान-गला में किसी तरह के संक्रमण के कारण हो जाती है.
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कॉर्निया को पहुंचा सकता है नुकसान
कंजंक्टिवाइटिस से आंखों का लाल होना और उससे पानी आना सामान्य है. इस दौरान आंखों में तेज जलन होती है. आई फ्लू होने पर पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है. आंखों में चुभन के साथ सूजन होती है. रिम्स मेडिसिन विभाग के डॉ विद्यापति ने बताया कि कंजंक्टिवाइटिस होने पर आंखों से पानी आने के साथ खुजली होती है. इस समय आंख को ज्यादा मलने से बचना होगा. संक्रमण अधिक बढ़ जाने पर आंखों में हेमरेज, किमोसिज होने का खतरा बढ़ता है. इंफेक्शन गहरा हो जाने पर कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है. स्कूली बच्चों के बीच इसका खतरा ज्यादा बना रहता है.
कंजंक्टिवाइटिस होने पर इन बातों कर रखें ध्यान
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आंखों को बार-बार न छूएं.
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आंख को साफ करने के लिए टिश्यू पेपर या साफ कपड़े का इस्तेमाल करें. इसके बाद टिश्यू पेपर या कपड़े को फेंक दें.
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किसी दूसरे व्यक्ति से आइ-टू-आइ कांटेक्ट से बचें.
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आंखों पर दबाव न बनने दें, टीवी और मोबाइल से दूर रहें.
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डॉक्टर के परामर्श पर ही आइ ड्रॉप या अन्य दवा लें.
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आंख को साफ पानी से धोते रहें.
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कंजंक्टिवाइटिस होने पर चश्मा पहनकर रहें.
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संक्रमित बीमारी हाथ से फैलती है, इसलिए समय-समय पर हाथों को साफ करते रहें.
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गंदगी या ज्यादा भीड़ वाली जगह पर जाने से बचें.
जलजमाव से पनपेंगे मच्छर, डेंगू और मलेरिया का खतरा
घर के आस-पास बारिश के दिनों में जलजमाव की समस्या आम बात है. ज्यादा दिनों तक जलजमाव की स्थिति होने पर इसपर मच्छर पनप सकते हैं. चिकित्सकों ने बताया कि जलजमाव वाली जगह पर मच्छर अपना अंडा देते हैं, जिससे लार्वा तेजी से बढ़ता है. यहीं मच्छर काटने पर शरीर में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. वैसे व्यक्ति जिन्हें पहले से वायरल फीवर हो, तो ऐसे व्यक्ति में डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. डेंगू की वजह से व्यक्ति में शॉक सिंड्रोम भी हो सकता है. यह समस्या जानलेवा है. बुखार दो दिन से ज्यादा हो, तो बिना देरी किये डॉक्टर से मिलें.
नगर निगम की टीम कर रही फॉगिंग
डेंगू और मलेरिया के खतरे से बचने के लिए चिकित्सक घर के पास इकट्ठा हुए पानी को खत्म करने की सलाह देते हैं. वहीं, दूसरी ओर नगर निगम की टीम इन दिनों शहर में नियमित फॉगिंग कर रही है. पूरे शहर में फॉगिंग के लिए 11 मशीन का इस्तेमाल कर रही है. इसमें नौ कोल्ड फॉगिंग मशीन और दो थर्मल फॉगिंग मशीन है. कोल्ड फॉगिंग मशीन पानी के फव्वारे की तरह कीटनाशक का छिड़काव कर रही है. वहीं, शहर के सघन आबादी वाले इलाके में थर्मल फॉगिंग की जा रही है. इसके अलावा शहर को बरसाती कीट-पतंग, मच्छर के लार्वा को नष्ट करने के लिए 300 कर्मी लगातार काम कर रहे हैं. नगर निगम के उप प्रशासक रजनीश कुमार ने बताया कि सफाई कर्मी जलजमाव वाले इलाके को चिह्नित कर रहे हैं. खासकर जिन इलाकों में तालाब या नाला है वहां टेनी फॉल केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है. नियमित रूप से फॉगिंग और केमिकल का छिड़काव हो सके इसके लिए रोस्टर तैयार किया गया है.