झारखंड के नगर निकायों की फाइलें जान-बूझ कर रखी जा रही थी पेंडिंग, जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

नगर विकास विभाग ने दो दिसंबर को भवन प्लान स्वीकृति में अनियमितता की जांच के लिए अपर सचिव कांत किशोर मिश्र की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी.

By Prabhat Khabar News Desk | January 17, 2023 10:33 AM

झारखंड के नगर निकायों में नक्शों की फाइलें जान-बूझ कर पेंडिंग रखी जा रही थीं. नक्शा स्वीकृत करने की प्रक्रिया की जांच के लिए बनायी गयी कमेटी ने नक्शे स्वीकृति के लिए फाइलों पर आपत्तियां जल्द सुलझाने की जरूरत बतायी है. कमेटी ने आपत्तियों का निराकरण करने के लिए समय तय करने की अनुशंसा की है.

नगर विकास विभाग ने दो दिसंबर को भवन प्लान स्वीकृति में अनियमितता की जांच के लिए अपर सचिव कांत किशोर मिश्र की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी. कमेटी की प्रारंभिक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गयी है. हालांकि, मामले की विस्तृत जांच अभी शेष है.

कमेटी ने सभी नगर निकायों से स्वीकृत, खारिज और पेंडिंग नक्शों की सूची भी मांगी है. राज्य के नगर निकायों में भवन प्लान स्वीकृत करने में अनियमितता को लेकर झारखंड हाइकोर्ट ने नक्शा स्वीकृति पर रोक लगायी है. प्रभात खबर में छपी संबंधित समाचार पर संज्ञान लेते हुए गत वर्ष एक दिसंबर को न्यायालय यह आदेश दिया था.

पिछले डेढ़ महीने से रांची नगर निगम और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार समेत सभी नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति का काम बंद है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 फरवरी तक की तिथि तय की गयी है. तब तक नक्शा स्वीकृत की प्रक्रिया पर न्यायालय द्वारा लगायी गयी रोक बरकरार रहेगी.

न्यायालय ने नक्शा स्वीकृति के लिए 10 दिनों का समय पर्याप्त बताया :

न्यायालय ने नक्शा स्वीकृति के लिए 10 दिनों का समय पर्याप्त बताया है. न्यायालय ने आर्किटेक्ट द्वारा भवन प्लान अपलोड करने के बाद सात दिन के अंदर उसके वेरिफिकेशन करने और सबकुछ ठीक रहने पर अगले तीन दिनों के अंदर नक्शा पास करने का निर्देश दिया था.

मामले में न्यायालय ने रांची नगर निगम व आरआरडीए को नक्शा से संबंधित मामलों में लीगल एडवाइस देने के लिए दो अधिवक्ताओं की कमेटी भी गठित की है. मालूम हो कि नगर निकायों पर नक्शा स्वीकृति के लिए निर्धारित शुल्क के अलावा अवैध राशि की मांग करते हुए आवेदनों को जबरन लंबित रखने का आरोप है. छोटे मकानों के लिए 30 से 35 हजार व अपार्टमेंट का नक्शा पास करने के लिए 20 से 30 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से घूस मांगा जाता है. प्रभात खबर में गत वर्ष 29 नवंबर को इससे संबंधित खबर छपने पर उच्च न्यायालय ने उसे रिट याचिका में तब्दील कर दिया था.

Next Article

Exit mobile version