रांची : झारखंड हाईकोर्ट द्वारा तीन सप्ताह में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान करने के निर्देश का पालन करना राज्य सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित आदेश के मुताबिक ओबीसी आरक्षण का निर्धारण ट्रिपल टेस्ट के माध्यम से किया जाना है. ट्रिपल टेस्ट नहीं कराने की स्थिति में राज्य सरकार को ओबीसी को आरक्षण दिये बिना ही चुनाव कराना होगा. उच्च न्यायालय के संबंधित आदेश के चार दिन बाद भी राज्य में नगर निकाय चुनाव की कोई सुगबुगाहट नहीं दिखायी दे रही है. राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव से संबंधित कोई संदेश अब तक नहीं दिया गया है. नगर विकास विभाग में भी चुनाव को लेकर कोई हलचल नहीं दिख रही है.
राज्य सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट कराने का फैसला पहले ही ले चुकी है. हालांकि, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति अभी तक नहीं की गयी है. जिसकी वजह से ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है. राज्य सरकार के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की तत्काल नियुक्ति करने के बावजूद तीन सप्ताह में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं देकर भी राज्य सरकार के पास नगर निकाय चुनाव कराने का विकल्प है. परंतु, ऐसा करके राज्य सरकार ओबीसी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहेगी. यहां यह उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग ने ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव की पूर्व तैयारी पूरी कर ली है. बूथों का गठन, सुरक्षा बलों की आवश्यकता, इवीएम मशीन और स्याही का इंतजाम जैसी तैयारियां पूर्ण की जा चुकी है.
झारखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर हाइकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के खिलाफ न्यायालय में अपील की तैयारी चल रही है. सूचना है कि ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने के बाद ही राज्य में नगर निकाय का चुनाव कराने की मांग को लेकर कई संगठन न्यायालय में अपील दाखिल करेंगे. राज्य के एक सांसद भी न्यायालय के संबंधित आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने की तैयारी पूरी कर चुके हैं. आगामी एक-दो दिनों में वह न्यायालय में अपील दाखिल करेंगे.
राज्य में नगर निकाय चुनाव में विलंब का खामियाजा विकास कार्यों पर पड़ रहा है. नगर निकाय चुनाव नहीं होने की वजह से 15वें वित्त आयोग की ओर से मिलने वाले अनुदान से राज्य को वंचित होना पड़ रहा है. 15वें वित्त आयोग से झारखंड सरकार को लगभग 1600 करोड़ रुपये का अनुदान फंस गया है. यह राशि राज्य के शहरों का विकास व नागरिक सुविधाएं विकसित करने के लिए राज्य को मिलनी है. मालूम हो कि राज्य के 13 नगर निकायों में तीन वर्षों से अधिक समय से और शेष निकायों में गत साल अप्रैल महीने से नगर निकाय चुनाव लंबित है. वर्तमान में नगर निकायों का संचालन जनप्रतिनिधियों की जगह प्रशासनिक पदाधिकारियों के माध्यम से कराया जा रहा है. जिससे निकाय प्रशासन में जनता की कोई भागीदारी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है.