पत्नी के ऑपरेशन के लिए नहीं थे पैसे इसलिए समीर बना उग्रवादी, ऐसे आया TPC के संपर्क में
समीर ने बताया कि उसे पढ़ने में मन नहीं लगता था. इस कारण आठवीं तक पढ़ा. इसके बाद मजदूरी करने लगा. कुछ दिनों बाद मजदूरी छोड़ बाइक से छापर से मांडर तक कोयला ढोने लगा.
राज्य में जमीन विवाद, शोषण या बदला लेने के लिए नक्सली और उग्रवादी बनने की बात सामने आती रही है. लेकिन बुढ़मू के मुस्लिम मुहल्ला निवासी समीर इसलिए टीपीसी का उग्रवादी बना क्योंकि उसके पास अपनी पत्नी के ऑपरेशन के लिए 50 हजार रुपये नहीं थे. इस बात का खुलासा उसने अपने बयान में किया है. कांके थाना पुलिस की टीम ने उसे एक नक्सली केस में 18 जून को गिरफ्तार किया था. समीर का पूरा नाम अताउल्लाह उर्फ रॉकी उर्फ गुजरा उर्फ समीर है.
समीर ने बताया कि उसे पढ़ने में मन नहीं लगता था. इस कारण आठवीं तक पढ़ा. इसके बाद मजदूरी करने लगा. कुछ दिनों बाद मजदूरी छोड़ बाइक से छापर से मांडर तक कोयला ढोने लगा. इस दौरान समीर को पता चला कि कोयला ढोने के एवज में उसे प्रतिमाह टीपीसी के उग्रवादी मुरारी को तीन हजार रुपये देना होगा. इसी बीच उसकी मुलाकात रिश्तेदार वारिस अंसारी से हुई. उसने समीर को बताया कि वह मुरारी के लिए काम करता है.
इसलिए वह उसकी कोयला ढुलाई का पैसा मुरारी से बात कर माफ करवा देगा. जनवरी 2023 में समीर की पत्नी गर्भवती थी. डॉक्टर ने उसे परामर्श दिया कि सीजेरियन ऑपरेशन कर डिलिवरी होगी. इसके लिए 50 हजार रुपये लगेंगे. समीर के पास पैसे नहीं थे. उसने कई लोगों से मदद मांगी. अंतत: वह पैसे के लिए वारिस अंसारी से संपर्क कर टीपीसी का उग्रवादी बन गया.