रांची : मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुराने लंबित मामलों के निष्पादन के लिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर बनी कमेटी लगातार समीक्षा कर रही है. समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि नक्सली और उग्रवादियों से जुड़े 158 केस में कुल 954 नक्सलियों व उग्रवादियों की संलिप्तता सामने आयी है. लेकिन 30 सितंबर 2023 तक गृह विभाग ने 954 नक्सलियों व उग्रवादियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए राज्य सरकार से अनुशंसा नहीं की है. इस वजह से आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई नहीं हो पा रही है. माओवादी (नक्सली) से जुड़े कुल 109 केस में 695 नक्सली आरोपी हैं. इसमें 442 नक्सली ऐसे हैं, जिनकी संलिप्तता ज्यादातर मामलों में है.
इनमें गिरिडीह जिले का 10 केस, चाईबासा का 29, गढ़वा का 10, गुमला का तीन, गोड्डा का दो, हजारीबाग का चार, चतरा का पांच, सरायकेला का सात, पलामू का चार, लातेहार का तीन, बोकारो का 14, दुमका का आठ, सिमडेगा का चार, लोहरदगा का सात, धनबाद का एक और रांची का एक केस शामिल है. इसी तरह उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ का 29 केस में 139 उग्रवादी शामिल हैं. इनमें से 93 ऐसे हैं, जो अधिकतर मामलों में शामिल हैं. टीपीसी/ टीएसपीसी से जुड़े 12 केस में 66 उग्रवादी आरोपी हैं. इनमें से 61 ऐसे हैं, जो कई मामलों में शामिल हैं. जेजेएमपी संगठन से जुड़े चार केस में 32 उग्रवादी, जेपीसी के दो केस में चार आरोपी हैं.
अमन श्रीवास्तव गिरोह के 21 बदमाशों पर भी नहीं हुई अनुशंसा
अमन श्रीवास्तव गिरोह से जुड़े दो केस में शामिल 21 बदमाशों के खिलाफ भी गृह विभाग ने अभियोजन स्वीकृति की अनुशंसा सरकार से नहीं की है. इस गिरोह के 20 बदमाश दोनों ही कांडों में शामिल रहे हैं.
सबसे ज्यादा रांची में 250 केस
राज्य के 24 जिलों के अलावा सीआइडी, एटीएस, रेल जिलों में चार वर्ष पुराने 768 केस एक अक्तूबर 2023 तक लंबित थे. इनमें सबसे ज्यादा 250 केस रांची में, सीआइडी में 86, जमशेदपुर में 43, दुमका में 39, साहिबगंज में 32 केस लंबित हैं. जबकि एटीएस में तीन व रेल धनबाद में एक केस लंबित है.