पीएलएफआइ का दबदबा सिर्फ लेवी वसूलने और उग्रवादी घटनाओं को अंजाम देने तक ही नहीं रहा, राजनीति में भी संगठन ने अपना दबदबा हमेशा बनाये रखा. दिनेश गोप का जब खूंटी समेत अन्य इलाके में आतंक था, तब झारखंड में पहली बार हुए पंचायत चुनाव में संगठन के दबाव पर कई जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने गये थे. दूसरी बार के पंचायत चुनाव में संगठन का नंंबर टू जीदन गुड़िया ने अपने प्रभाव से अपनी पत्नी जोनिका गुड़िया को जिला परिषद चुनाव में जीत दिलायी थी.
जोनिका गुड़िया निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गयी थीं. इसी तरह पीएलएफआइ के समर्थन से पौलुस सुरीन तोरपा से पहली बार जेल में रहते हुए जीते और विधायक बने. हालांकि बाद में संगठन ने उन्हें बाहर कर दिया था. खूंटी में भी पीएलएफआइ का सदस्य एक बार भाजपा के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा को कड़ी टक्कर दे चुका है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कई पंचायतों में पीएलएफआइ का दबदबा रहा है. हालांकि समय के साथ संगठन कमजोर होने से राजनीति में भी संगठन का प्रभाव कम होता चला गया.
पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप का दबदबा सिर्फ खूंटी ही नहीं, बल्कि चाईबासा, सिमडेगा, गुमला, रांची सहित अन्य जिलों में भी था. खूंटी पुलिस ने उसकी कई संपत्तियां जब्त की थी. जब्त संपत्तियों में दो बस, नौ चारपहिया वाहन, एक जेसीबी सहित अन्य सामान शामिल हैं. वहीं कुर्की जब्ती में भी घर के कई सामान जब्त किये गये. दिनेश गोप की रांची में भी संपत्ति थी, जिसे पुलिस ने अटैच किया था. इसमें तीन जमीन भी शामिल है.