एनआइए द्वारा गिरफ्तार पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप पिछले एक वर्ष से नेपाल में था. वहीं से वह झारखंड में संगठन चला रहा था. नेपाल में रहने के दौरान वहां के स्थानीय लोगों से दिनेश गोप ने संपर्क बढ़ाकर अपनी अच्छी पकड़ बना ली थी. इस कारण वह वहां आराम से रहता था. झारखंड में पीएलएफआइ के अन्य उग्रवादियों द्वारा वसूले गये लेवी के पैसे उसके कुछ समर्थक उस तक नेपाल पहुंचाने का काम करते थे.
इसमें सबसे प्रमुख सहयोगी के रूप में नीलांबर गोप का नाम सामने आ चुका है. नीलांबर गोप को खूंटी पुलिस एक अन्य समर्थक के साथ पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. दिनेश गोप कभी भी किसी से सामान्य कॉल पर बात नहीं करता था. वह इंटरनेट कॉल और विदेशी नंबरों से अपने सहयोगी से बात करता था. खबर यह भी है कि दिनेश गोप ने लेवी में वसूले पैसे को नेपाल में भी निवेश किया है. हालांकि यह अभी जांच का विषय है.
खुफिया एजेंसी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिनेश गोप के नेपाल में होने की जानकारी झारखंड पुलिस के साथ-साथ एनआइ, स्पेशल ब्रांच और राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी को भी थी. कुछ माह पूर्व उसे नेपाल से झारखंड पुलिस की एक टीम ने पकड़ने का प्रयास किया था. लेकिन वहां की स्थानीय पुलिस ने झारखंड पुलिस को उतना सहयोग नहीं किया.
इसके बाद नेपाल में दिनेश गोप के होने की जानकारी वहां की खुफिया एजेंसी को दी गयी. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड पुलिस के साथ एनकाउंटर के दौरान जब दिनेश गोप को गोली लगी थी, तब वह नेपाल भाग गया था. वहां वह किसी पीएलएफआइ उग्रवादी को मिलने के लिए नहीं बुलाता था. उग्रवादियों के बजाय वह अपने विश्वसनीय समर्थकों को बुलाता था.