रांची: पोलित ब्यूरो सदस्य नक्सली नेता प्रशांत बोस व उनकी पत्नी को बड़ा झटका, अदालत ने खारिज की जमानत याचिका
पुलिस ने वर्ष 2021 में माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस, उनकी पत्नी शीला मरांडी सहित अन्य माओवादियों को गिरफ्तार किया था. उनके पास से एक पेन ड्राइव, 1.51 लाख रुपये, चार मोबाइल आदि बरामद किये गये थे
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा व उनकी पत्नी शीला मरांडी की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद प्रार्थियों को राहत देने से इनकार कर दिया. साथ ही खंडपीठ ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए जमानत देने का आग्रह किया गया, जिसका विरोध सरकार की ओर से किया गया. उल्लेखनीय है कि पुलिस ने वर्ष 2021 में माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस, उनकी पत्नी शीला मरांडी सहित अन्य माओवादियों को गिरफ्तार किया था. उनके पास से एक पेन ड्राइव, 1.51 लाख रुपये, चार मोबाइल आदि बरामद किये गये थे. इस मामले में सरायकेला के कांड्रा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. तब से वह न्यायिक हिरासत में बंद हैं.
चांडिल प्रखंड प्रमुख अमला मुर्मू के निर्वाचन को बहाल रखने का आदेश
झारखंड हाइकोर्ट ने चांडिल प्रखंड के प्रमुख पद से हटाने के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व प्रतिवादी का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने प्रार्थी अमला मुर्मू के निर्वाचन को बहाल रखने का आदेश दिया. साथ ही अदालत ने सरायकेला के उपायुक्त के आदेश को निरस्त कर दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से भादूडीह पंचायत समिति सदस्य के लिए चुनाव लड़ी और विजयी घोषित हुई थी. बाद में वह चांडिल प्रमुख पद के लिए निर्वाचित हुईं थी. गुरुपद हांसदा ने सरायकेला के उपायुक्त के पास अमला मुर्मू के जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए शिकायत की थी. इसके बाद उपायुक्त ने जांच कराने के बाद पंचायत समिति सदस्य व प्रखंड प्रमुख के पद पर निर्वाचन को रद्द कर दिया तथा प्रखंड प्रमुख का चुनाव कराने का आदेश दिया था, जिसे हाइकोर्ट में याचिका दायर कर प्रार्थी ने चुनौती दी थी.