पीएलएफआइ के उग्रवादियों से पैसा लेकर नक्सल ऑपरेशन की अतिगोपनीय जानकारी देनेवाला दारोगा मनोज कच्छप को बर्खास्त कर दिया गया है. यह कार्रवाई गिरफ्तार पीएलएफआइ उग्रवादी अवधेश जायसवाल उर्फ चूहा के बयान पर की गयी. पूछताछ के दौरान अवधेश जायसवाल ने पुलिस को बताया था कि वर्ष 2021 में रनिया थाना क्षेत्र में पुलिस की नक्सल ऑपरेशन की जानकारी पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप को मनोज कच्छप पहले ही बता देते थे.
इस कारण सुप्रीमो दिनेश गोप दस्ते के साथ समय रहते ठिकाना बदल लेता था. इसके एवज में दारोगा मनोज को संगठन की ओर से पैसा दिया जाता था. जायसवाल के बयान पर दारोगा मनोज कच्छप को खूंटी के एसपी ने निलंबित कर दिया था. इसके बाद एसपी के निर्देश पर दारोगा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलायी गई. इसमें डीएसपी रैंक के अफसर ने बतौर संचालन पदाधिकारी जांच में दारोगा मनोज कच्छप को दोषी पाया.
फिर एसपी ने डीआइजी अनूप बिरथरे से दारोगा मनोज कच्छप को बर्खास्त करने की अनुशंसा की. इसके बाद डीआइजी ने 2018 बैच के दारोगा मनोज कच्छप को कर्तव्य के प्रति घोर अनुशासनहीनता व पुलिस विभाग के साथ धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों के मद्देनजर मार्च के अंतिम सप्ताह में सेवा से बर्खास्त कर दिया.
पुलिस की ऑपरेशन संबंधी अति गोपनीय सूचना लिक होने के बाद गनीमत रही कि पीएलएफआइ के उग्रवादियों ने पुलिस टीम को निशाना नहीं बनाया. वे खुद को बचाते रहे. अगर वे दारोगा से मिली सूचना पर झारखंड पुलिस व केंद्रीय बल की संयुक्त टीम को निशाना बनाते, तो गंभीर परिणाम सामने आ सकता था. यही वजह रही कि मनोज कच्छप के विभाग में बने रहने को सही नहीं मानते हुए उसे बर्खास्त किया गया.
फरवरी 2022 में पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप का दाहिना हाथ और लेवी वसूली का मास्टरमाइंड अवधेश जायसवाल उर्फ चूहा जायसवाल को बिहार के नालंदा से गिरफ्तार किया गया था. झारखंड एटीएस व पुलिस की संयुक्त गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में चूहा जायसवाल ने यह खुलासा किया था.