सरायकेला का यह गांव कभी था नक्सलियों का गढ़, लेकिन ऑर्गेनिक हल्दी की खेती से बदल रही तस्वीर

झारखंड के सरायकेल जिले से 16 किमी दूर रायजेमा पहाड़ के लोगों किस्मत अब बदलने लगी है. मामला ये है कि यहां के लोग अब ऑर्गेनिक हल्दी की खेती करने लगी है. गुणवत्ता इतनी अच्छी कि इसे अब देश-विदेश में पहुंचाने और बेचने की तैयारी हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 1, 2021 10:58 AM

Jharkhand News, Saraikela news सरायकेला : सरायकेला खरसावां से करीब 16 किमी दूर स्थित है रायजेमा पहाड़़ नक्सल प्रभावित इस इलाके में अब विकास की बेचैनी है़ पहाड़ की तलहटी में रायजेमा, कांडेरकुटी, चैतनपुर, शीलाडीह, इचाडीह, पोंडाडीह व जोरा जैसे दर्जन भर से ज्यादा गांव बसे हैं. यहां के लोग ऑर्गेनिक हल्दी की खेती कर रहे हैं. गुणवत्ता इतनी अच्छी कि इसे अब देश-विदेश में पहुंचाने और बेचने की तैयारी हो रही है.

ट्रायफेड इस कार्य में ग्रामीणों की मदद कर रहा है. पारंपरिक खेती के साथ-साथ व्यावसायिक खेती से इलाके में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है़ इन गांवों को राज्य और केंद्र सरकार पूरी मदद कर रही है. रायजेमा के रहनेवाले युवक शुक्ला सरदार खेती करते हैं. उन्होंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह बताते हैं कि हल्दी की खेती उनके पूर्वज भी करते थे. हल्दी के साथ-साथ यहां धान की खेती होती है.

नक्सली घटनाओं का गवाह रहा इलाका

खरसावां से इन गांवों की ओर जानेवाले रास्ते कई नक्सली घटनाओं के गवाह हैं. कई लोगों ने अपनी जान इस रास्ते में गंवायी है. कई घायल हुए हैं. रास्ते में दो-दो पुलिस पिकेट हैं. करीब 16 किमी की दूरी में शायद ही कोई मिलता है. रास्ता पथ निर्माण विभाग की ओर से बनाया गया है. काली सड़क खरसावां को रड़गांव (तमाड़, रांची) स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग -33 से जोड़ती है.

रास्ते में सोना नदी पड़ने के कारण बरसात में वाहनों का चलना बंद हो जाता है. नदी में पुल बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है. यहां 3.19 करोड़ रुपये की लागत से पुल बनाया जायेगा. नदी के किनारे ही पुलिस का कैंप है. करीब एक दर्जन से अधिक गांव चारों ओर से खूबसूरत हरे-भरे पहाड़ों से घिरे हैं.

Posted by : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version