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कमलेश सिंह की विधायकी खतरे में! शरद पवार की याचिका पर झारखंड एनसीपी के इकलौते विधायक ने कही ये बात

शरद पवार की पार्टी टूट गई. भतीजे ने साथ छोड़ दिया. अब शरद पवार एनसीपी के विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील दायर कर रहे हैं. झारखंड के एकमात्र विधायक कमलेश सिंह के खिलाफ भी उन्होंने स्पीकर के यहां याचिका दाखिल कर दी है. लेकिन, कमलेश सिंह कह रहे हैं कि वे ‘घड़ी’ में थे और ‘घड़ी’ में ही हैं.

झारखंड के इकलौते एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) विधायक कमलेश सिंह की विधायकी खतरे में है. उनकी पार्टी के सबसे बड़े नेता ने उनको अयोग्य ठहराने की याचिका दाखिल कर दी है. वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में एनसीपी के टिकट पर एकमात्र नेता कमलेश सिंह ने जीत दर्ज की थी. अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग कर दी है. महाराष्ट्र में एनसीपी में हुए दो फाड़ के बाद कमलेश सिंह पार्टी के नये नेता अजित पवार गुट के साथ हैं. इसलिए उनकी विधायकी समाप्त किए जाने की मांग पार्टी सुप्रीमो ने कर दी है. शरद पवार ने कहा है कि कमलेश सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. शरद पवार ने नगालैंड के अपने सात विधायकों के खिलाफ भी ऐसी ही याचिका दाखिल की है. दरअसल, महाराष्ट्र में पार्टी के विघटन के बाद अजित पवार और शरद पवार के बीच पार्टी के मालिकाना हक को लेकर जंग छिड़ी हुई है. इसी बीच शरद पवार ने नगालैंड और झारखंड के कुल आठ विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधयों में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए, उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की याचिका दाखिल कर दी है. एनसीपी के नेता धीरज शर्मा ने यह जानकारी दी है. इसके जवाब में झारखंड एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह ने कहा कि वे एनसीपी में थे, एनसीपी में हैं और आगे भी एनसीपी में रहेंगे. मामला अभी चुनाव आयोग के पास लंबित है, शरद पवार को उसके फैसले का इंतजार करना चाहिए.

अजित पवार की वजह से एनसीपी में हुई थी टूट

शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी से नाता तोड़कर अपने समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से गठबंधन कर लिया. इसके बाद शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी की महाराष्ट्र सरकार गिर गई. अजित पवार ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया. इस गठबंधन सरकार में अजित पवार को डिप्टी चीफ मिनिस्टर की कुर्सी भी मिल गई. बाद में अजित पवार गुट के नेताओं ने उन्हें एनसीपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया. दोनों गुटों ने दावा किया कि देश की 24 राज्यों की इकाइयों का उन्हें समर्थन प्राप्त है. पवार समर्थक एनसीपी कार्यकर्ताओं ने देश भर में 40 हजार शपथ पत्र दाखिल किए, जबकि बागी अजित पवार गुट ने ऐसे ही करीब 60 हजार शपथ पत्र दाखिल किए.

कमलेश सिंह बोले- स्पीकर को दे दिया है जवाब

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन की सरकार है. हेमंत सोरेन इसके मुखिया हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जो इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लुसिव अलायंस (आईएनडीआईए) बना है, उसमें कांग्रेस के साथ-साथ झामुमो, राजद और एनसीपी भी शामिल है. कमलेश सिंह झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार के करीब हैं, लेकिन सरकार में शामिल नहीं हैं. शरद पवार की ओर से उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोपों के बारे में पूछने पर कमलेश सिंह ने कहा कि एक विधायक के जरिए शरद पवार ने झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष के पास एक याचिका दाखिल की है. उसका जवाब उन्होंने दे दिया है.

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कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने जो कहा, मैंने वही किया

झारखंड के एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने कहा कि एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल का जैसा दिशा-निर्देश था, मैंने वही किया. प्रफुल्ल पटेल को शरद पवार जी ने ही पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. वह झारखंड एनसीपी के प्रभारी भी थे. एनसीपी विधायक ने कहा कि मामला अभी चुनाव आयोग के पास लंबित है. शरद पवार ने जो याचिका स्पीकर के पास दाखिल करवाई है, उसका जवाब मैंने दे दिया है. हमारे कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार ने भी स्पीकर के सामने पार्टी का पक्ष रख दिया है. मैं वर्ष 2001 से ‘घड़ी’ (एनसीपी का चुनाव चिह्न) में हूं और आगे भी घड़ी में ही रहूंगा. उन्होंने कहा कि पवार साहब को चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार कर लेना चाहिए.

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