मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर घर लौटेंगे विदेश में फंसे झारखंड के 50 कामगार, इस दिन से होगी वापसी

Jharkhand News: मलयेशिया में फंसे झारखंड के 50 श्रमिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर अपने घर लौटने वाले हैं. 8 दिसंबर से उनकी वापसी शुरू हो जाएगी.

By Mithilesh Jha | December 4, 2024 5:35 PM
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Jharkhand News: झारखंड के 50 कामगार विदेश में फंस गए हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर सभी श्रमिक जल्द ही अपने घर लौटेंगे. मुख्यमंत्री की पहल पर सभी कामगारों को झारखंड लाने की कागजी कार्रवाई पूरी हो गई है. 11 से 18 दिसंबर के बीच बारी-बारी से सभी लोग अपने घर पहुंचेंगे.

विधानसभा चुनाव की वजह से कामगारों की वापसी में हुई देरी

मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह जानकारी दी है. कहा है कि झारखंड में विधानसभा चुनावों की वजह से उनकी वापसी में देरी हो गई. अगर चुनाव नहीं होते, तो कामगार अब तक अपने घर में होते. सीएमओ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये लोग मलयेशिया की लीडमास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में झारखंड से काम करने के लिए गए थे.

Jharkhand News: मलयेशिया में फंसे थे देश के 70 कामगार

झारखंड राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को 24 सितंबर 2024 को वहां काम कर रहे 70 कामगारों के फंसे होने की शिकायत मिली. कामगारों ने बताया कि 4 महीने से उनको वेतन नहीं मिला. उन्हें भोजन भी नहीं मिल रहा है. इसलिए वे जल्द से जल्द अपने घर लौट जाना चाहते हैं.

50 कामगार झारखंड के रहने वाले

मुख्यमंत्री को जब इसकी सूचना मिली, तब तक झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी थी और आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी. इसकी वजह से इनकी स्वदेश वापसी की प्रक्रिया धीमी हो गई थी. चुनाव समाप्त होने और नई सरकार के गठन के बाद कामगारों के स्वदेश वापसी का रास्ता साफ हो गया है. 70 कामगारों में 50 कामगार झारखंड के हैं. 20 अन्य प्रदेशों के रहने वाले हैं.

मजदूरों को मिला 8 महीने का बकाया वेतन

अनुबंध के तहत कामगारों का 1,700 मलयेशियन रिंगिट (मुद्रा/रुपया) का वेतन तय था. उन्हें 1,500 रिंगिट ही दिए जा रहे थे. इसमें भी कटौती कर ली जा रही थी. भोजन की सुविधा नहीं दी गई. कामगारों को धमकियां भी मिल रहीं थीं. इसके बाद कामगारों ने मलयेशिया पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई.

कामगारों ने श्रम विभाग को भेजे थे जरूरी दस्तावेज और आवेदन

बाद में कामगारों ने इस मामले से संबंधित आवश्यक दस्तावेज एवं आवेदन श्रम विभाग को भेजा. श्रम विभाग के निर्देश पर प्रोटेक्टर ऑफ एमीग्रेंट रांची को पूरे मामले की जानकारी मिली. मामला राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष पहुंचा.

भारतीय दूतावास ने दिलाया कामगारों का बकाया वेतन

श्रम विभाग ने पहल की और भारतीय दूतावास, कुआलालम्पुर ने कंपनी एवं कामगारों को दूतावास में बुलाया गया. यहां दोनों पक्षों का सत्यापन किया गया. इसके बाद भारतीय दूतावास ने सभी कामगारों को अपने संरक्षण में ले लिया. कंपनी से कहा कि उनका बकाया भुगतान किया जाए. साथ ही श्रमिकों की भारत वापसी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए.

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