Jharkhand News, Ranchi News, jharkhand minority school teachers news रांची : झारखंड में संचालित अल्पसंख्यक एवं सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों के 400 शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने उक्त शिक्षकों की नियुक्ति को वैध करार दिया है. इस फैसले से पिछले नौ साल से बगैर वेतन कार्य करने वाले 12 जिलों के 400 शिक्षकों को वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है. इसमें पूर्वी सिंहभूम के 67 शिक्षक भी शामिल हैं. इस संबंध में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय को पत्र भेजा है. पत्र के मुताबिक, पूर्व के कई नियम जहां विलोपित हैं, वहीं गैर सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षक की नियुक्ति में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होना अनिवार्य नहीं है.
संकल्प में यह भी कहा गया है कि गैर सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी नहीं होगा. गैर सरकारी सहायता प्राप्त (अल्पसंख्यक सहित) प्राइमरी स्कूलों में से अल्पसंख्यक प्राइमरी स्कूलों में आरक्षण का प्रावधान कभी भी लागू नहीं रहे हैं, जबकि सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में आरक्षण के प्रावधान लागू रहेंगे.
पूर्वी सिंहभूम समेत राज्य के अल्पसंख्यक व सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति विभिन्न स्कूलों की प्रबंधन समिति ने गलत तरीके से कर ली थी. शिक्षकों की नियुक्ति में शिक्षक नियमावली 2012 का पालन नहीं किया गया था. जिला स्तर पर 77 शिक्षकों की नियुक्ति करवा कर पहले चरण में कुल 69 शिक्षकों की फाइल के अनुमोदन के लिए प्राथमिक शिक्षा निदेशालय को भेजी गयी थी, लेकिन अब तक उसका अनुमोदन नहीं किया गया था. साथ ही कई जिलों में की गयी नियुक्ति में विभिन्न मापदंडों का पालन नहीं होने की वजह से उसे अवैध करार दिया गया था.
पूर्वी सिंहभूम में दो शिक्षकों की बहाली रद्द होगी. इसमें पब्लिक वेलफेयर मध्य विद्यालय मानगो की शिक्षिका नाजरीन परवीन और इसी स्कूल की शिक्षिका शमा परवीन शामिल हैं. यह स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूल है. नियमानुसार यहां नियुक्ति में आरक्षण लागू होना है. लेकिन दोनों शिक्षिकाअों की बहाली में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ.
झारखंड अल्पसंख्यक एवं सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालय शिक्षक संघ की ओर से उपलब्ध कराये गये आंकड़े के मुताबिक, राज्य में ऐसे अल्पसंख्यक और सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या 847 है. इन स्कूलों में शिक्षकों के सृजित पद 4478 हैं, जहां 4,036 शिक्षक फिलहाल बहाल हैं. वहीं इसमें पढ़नेवाले छात्रों की संख्या लगभग 2,09,423 है. इन स्कूलों में क्लास एक से आठ तक की पढ़ाई होती है.
पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज, गिरिडीह, दुमका, धनबाद खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा,
अल्पसंख्यक स्कूलों में बहाली के लिए सरकार द्वारा नवंबर 2012 में शिक्षक नियमावली बनायी गयी थी. नियमावली में स्पष्ट था कि अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षक बनने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटर है. इसके अलावा शिक्षक को दो साल का बेसिक टीचर ट्रेनिंग व टेट पास होना अनिवार्य है. इस नियम के अनुसार अगर कोई शिक्षक उच्च शिक्षा हासिल किया हो, बीएड डिग्रीधारी अौर टेट पास हो, इसके बावजूद भी वह अल्पसंख्यक स्कूल व सहायता प्राप्त स्कूल में पहली से पांचवीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए तय मानक के अनुरूप फिट नहीं है.
पूर्वी सिंहभूम जिले के अल्पसंख्यक स्कूलों में बहाली की चार बार जांच हो चुकी है. हर जांच में बहाली को नियमानुसार नहीं बताया गया था. पहली जांच पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक इंदू भूषण सिंह, दूसरी 2015 में प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने, तीसरी पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक बांके बिहारी ने जबकि चौथी बार जांच प्राथमिक शिक्षा निदेशक विनोद कुमार ने की थी. इस जांच में 22 विद्यालयों में 69 शिक्षक-शिक्षिकाअों की बहाली की जांच हुई थी. इस दौरान तमाम बिंदुअों पर जांच हुई थी. इसमें यह बात सामने आयी थी कि जिले के 14 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने टेट पास नहीं किया है. साथ ही दो ऐसे शिक्षक ऐसे थे, जो अोवरएज थे.
Posted By : Sameer Oraon