बांस के उत्पादन में चीन को पछाड़ना है. आजीविका बढ़ाने के लिए बांस का उपयोग बढ़ाना है. इसके लिए रांची में ‘आजीविका बढ़ाने में बांस का उपयोग’ विषय पर झारखंड की राजधानी रांची में एक दिन की परिचर्चा हुई. कार्यक्रम का आयोजन रांची स्थित वन एवं उत्पादकता संस्थान (आईएफपी) में हुआ.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मांडर की विधायक शिल्पा नेहा तिर्की और सम्मानित अतिथि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की आयुक्त राजेश्वरी बी थीं.
Also Read: झारखंड : ‘हरा सोना’ की पैदावार में लगे पूर्वी सिंहभूम के किसान, बांस के कोपले निकलने से दिखी खुशीवन एवं उत्पादकता संस्थान (आईएफपी) रांची के निदेशक डॉ अमित पांडेय ने बांस के महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने बांस से जुड़ी भारत सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
डॉ अमित पांडेय ने बताया कि भारत में विशाल मानव श्रम बल उपलब्ध है. इसके बल पर बांस के उत्पादन और मूल्यवर्द्धन के क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ना है.
उन्होंने अपील की कि भारत को बांस के उत्पादन के मामले में अग्रणी देश बनाना है. वहीं, झारखंड की मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि मनरेगा से इस अभियान को हरसंभव मदद दी जाएगी.
Also Read: PHOTOS: पुल-एक्सप्रेस-वे की ये 10 परियोजनाएं बदल देंगी झारखंड की तस्वीर, स्मार्ट हो जाएगी अपनी रांचीमुख्य अतिथि शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि मांडर विधानसभा क्षेत्र में किसानों को बांस की खेती के लिए जागरूक करने की जरूरत है. वे जागरूक होंगे, तभी बांस का उत्पादन बढ़ेगा और इसका मूल्यवर्द्धन करके उसे रोजगार से जोड़ा जा सकेगा.
इस कार्यशाला में अलग-अलग जगहों से आए रिसोर्स पर्संस ने बांस के अलग-अलग उपयोग और उससे बनने वाले उत्पादों के बारे में बताया. साथ ही यह भी बताया कि बांस और उससे बने उत्पादों की बाजार में क्या संभावनाएं हैं.