Jharkhand News, Ranchi News रांची : झारखंड में एससी-एसटी को बैंकों से मिलनेवाले कर्ज में लगातार कमी आ रही है. राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की 76वीं बैठक में जारी आंकड़ों की मानें, तो 31 मार्च तक राज्य के 2,150 लाभुकों में से एससी-एसटी वर्ग के 359 युवा उद्यमियों को ही कर्ज दिया गया है. इसके तहत कर्ज पर 35 से 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलता है.
राज्य में डेयरी, फिशरीज, खाद्य प्रसंस्करण, बागवानी और पॉल्ट्री के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन, आंकड़े दर्शाते हैं कि बैंक इस क्षेत्र में काम कर रहे अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के उद्यमियों को सहयोग नहीं कर रहे हैं. इस वर्ग को बिना गारंटी के 7.50 लाख रुपये तक मिलनेवाले शिक्षा ऋण को लेकर भी यही स्थिति है.
वहीं, राज्य सरकार की गारंटी के बावजूद एक साल में महज 1,228 एसी-एसटी छात्रों के आवेदन ही स्वीकृत किये जा सके हैं. ट्राइबल एडवाइजरी बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री सहित अन्य नेता भी इस पर चिंता जता चुके हैं. टीएसी ने इसे लेकर झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में एक उपसमिति भी बनायी.
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी), स्टैंडअप योजना के साथ ही एससी-एसटी को बिना गारंटी के कर्ज देने की स्थिति भी ठीक नहीं है. इन योजनाओं का उद्देश्य सभी वर्ग के लोगों को मैन्यूफैक्चरिंग या सर्विस से जुड़े उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाने का है. इसमें 1513 आवेदन अभी भी मंजूरी के इंतजार में हैं, जिनमें 23 प्रतिशत आवेदन अकेले इस वर्ग से हैं.
पिछले साल के मुकाबले बैंकों से मिलनेवाले कर्ज में 3,750. 95 करोड़ रुपये की गिरावट हुई है. पिछले साल 31 मार्च तक 6,853.16 करोड़ रुपये कर्ज दिये गये थे, जो इस साल यह घटकर 3,102. 21 करोड़ रुपये रह गये.
Posted By : Sameer Oraon