रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं है. संविधान में प्राप्त संरक्षण के बावजूद आदिवासियों को जगह नहीं दी गयी है. सदियों से इन्हें दबाया गया. आज भी यही मानसिकता है. ऐसे समुदाय को बुरी नजरों से देखा जाता है. यह चिंता की बात है. यह बात मुख्यमंत्री ने शनिवार को हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस को अॉनलाइन संबोधित करते हुए कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की स्थिति क्या है. यह महत्वपूर्ण सवाल है.
मैं एक आदिवासी हूं और मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचा हूं. लेकिन यह आसान नहीं था. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में भी आदिवासियों की जगह ज्यादा नहीं है. यही वजह है कि सरकार आदिवासी बच्चों को विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का अवसर प्रदान कर रही है. भारत सरकार भी इस तरह की योजना संचालित करती है.
लेकिन आदिवासी बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रवासी मजदूरों की स्थिति से लेकर पत्थलगड़ी परंपरा तक की बात कही. जनगणना कॉलम में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम होने की बात भी कही.
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आदिवासियों के हितों की रक्षा प्राथमिकता : मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि आदिवासियों के लिए पॉलिसी में बात तो की जाती है, लेकिन कार्य इसके विपरीत हैं. देश में ट्राइबल कौंसिल, आदिवासी मंत्रालय हैं. संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल रहा है.
यही वजह है कि आदिवासियों के लिए अलग कॉलम की मांग की गयी है, ताकि वे अपनी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित कर आगे बढ़ सकें. श्री सोरेन ने कहा कि आदिवासी-दलितों के लिए केवल नीतियों में चिंता है, पर हकीकत में नहीं है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में आदिवासियों की पहचान कायम रहे. यह प्रयास सरकार का रहेगा.
Postest by: Pritish Sahay