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3 दिन पहले छुट्टी बिता कर ड्यूटी ज्वाइन किये थे देवेंद्र, शहीद होकर वापस लौटे अपने गांव, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

Jharkhand News, Godda News : शहीद जवान देवेंद्र कुमार पंडित के शव पहुंचते ही सब की आंखें भर गयी और डबडबाये नेत्रों से देवेंद्र पंडित के लिए ईश्वर से लगातार जन्नत देने की आवाज गूंजती रही. राजकीय सम्मान के साथ देवेंद्र पंडित को सलामी दिया गया. साथ ही क्षेत्र के सांसद विजय हांसदा, पूर्व विधायक ताला मरांडी, गोड्डा डीसी भोर सिंह यादव, एसपी वाईएस रमेश, एसडीपीओ आनंद मोहन सिंह, महगामा एसडीपीओ शिव शंकर तिवारी, महगामा एसडीओ जितेन्द्र कुमार देव, बीडीओ धीरज प्रकाश, सीओ देवराज गुप्ता, सांसद प्रतिनिधि सुबल मंडल ने पुष्प अर्पित किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 5, 2021 8:54 PM

Jharkhand News, Godda News, गोड्डा (निरभ किशोर) :

” न इंतजार करो इनका ए अजा-दारो,
शहीद जाते है जन्नत को घर नहीं आते”.

गोड्डा के शहीद वीर जवान देवेंद्र कुमार पंडित को उनके पैतृक गांव बोआरीजोर प्रखंड के राजाभीट्ठा थाना के धानाबिंदी गांव पार्थिव शरीर पहुंचते ही उनके अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. सुबह करीब 9:30 बजे रांची से शहीद का शव फूल से सजे रथ से लेकर पुलिस के जवान उनके घर पहुंचे. अंतिम दर्शन के बाद पास के ही सुंदर जलाशय में राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गयी. शहीद के बडे पुत्र राहुल आनंद ने मुखाग्नि देकर पिता को हमेशा के लिए विदा किया.

शहीद जवान देवेंद्र कुमार पंडित के शव पहुंचते ही सब की आंखें भर गयी और डबडबाये नेत्रों से देवेंद्र पंडित के लिए ईश्वर से लगातार जन्नत देने की आवाज गूंजती रही. राजकीय सम्मान के साथ देवेंद्र पंडित को सलामी दिया गया. साथ ही क्षेत्र के सांसद विजय हांसदा, पूर्व विधायक ताला मरांडी, गोड्डा डीसी भोर सिंह यादव, एसपी वाईएस रमेश, एसडीपीओ आनंद मोहन सिंह, महगामा एसडीपीओ शिव शंकर तिवारी, महगामा एसडीओ जितेन्द्र कुमार देव, बीडीओ धीरज प्रकाश, सीओ देवराज गुप्ता, सांसद प्रतिनिधि सुबल मंडल ने पुष्प अर्पित किया.

पार्थिव शरीर को एसडीपीओ आनंद मोहन सिंह ने किया रिसीव

रांची से सम्मान के साथ फूल से सजे रथ पर शहीद के शव को रखा गया था. गोड्डा पहुंचने पर एसडीपीओ आनंद मोहन सिंह ने शव को रिसीव किया और उसके साथ उनके पैतृक गांव धानाबिंदी के लिए निकल गये. गोड्डा- महगामा मुख्य मार्ग NH 133 से होकर शहीद का पार्थिव शरीर अपने मिट्टी और गांव के लिए निकल गया. सुबह 9:30 बजे धानाबिंदी गांव पहुंचने पर जगुआर, जिला पुलिस बल, आईआरबी के जवानों ने कंधे पर ताबूत उठाये अपने साथी को घर के चौखट पर रखा. इसके बाद अंतिम दर्शन की तैयारी शुरू हो गयी.

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सबकी आंखें छलकी

शव के गांव पहुंचते ही अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. जैसे ही शहीद का शव उनके चौखट पर पहुंचा, पत्नी रेखा देवी दहाड़ मार कर रोने लगी. कई बार बेहोश हुई और होश में आने के बाद फिर बेहोश हो गयी. लोगों ने सहयोग देकर पति के शव के पास पहुंचाया. मां सोहिया देवी अपने बेटे को देखते ही छाती पीट कर रो रही थी. उसके चीत्कार से पूरा क्षेत्र गमगीन हो गया. मां बार- बार कह रही थी मेरा पुत्र हमलोगों को छोड़ कर चला गया जबकि शहीद के दोनों पुत्र अपने पिता को देखते ही पैर से लिपट कर लगातार रोते रहे. दोनों पुत्र और पत्नी के विलाप को देख कर आसपास के लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे.

पिता को तिरंगा देकर एसपी ने किया सम्मानित

शहीद के पिता जीवलाल पंडित को राष्ट्रीय ध्वज देकर एसपी ने सम्मानित किया. सांसद विजय हांसदा, डीसी भोर सिंह यादव, एसपी वाई एस रमेश के साथ समस्त पदाधिकारियों ने शहीद को पुष्प और माला अर्पित कर नमन किया. इस दौरान पिता जीवलाल पंडित, भाई वीरेंद्र पंडित के साथ दोनों पुत्र राहुल आनंद एवं आरव आनंद ने भी पुष्प अर्पित किया.

सम्मान में जवानों की गरजी राइफल

शहीद को राजकीय सम्मान देते हुए पुलिस जवानों ने सशस्त्र सलामी दी ओर राइफल से गोलियां आसमान की ओर गरजने लगी. इसके बाद जवानों ने राइफल को झुकाया.

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अंत्येष्टि स्थल पर उमड़ा जनसैलाब

पास के ही सुंदर जलाशय के समीप शहीद देवेंद्र पंडित का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान जिले के सभी वरीय पदाधिकारी के साथ राजमहल सांसद विजय हांसदा के साथ- साथ आसपास के समाजसेवी, बुद्धिजीवि सहित काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.

महज 3 दिन पहले छुट्टी बिता कर गये थे देवेंद्र

शहीद देेवेंद्र गत 3 मार्च को छुट्टी बिता कर काम पर लौटे थे. 4 मार्च, 2021 को ड्यूटी ज्वाइन किया था और ड्यूटी ज्वाइन के साथ ही लैंड माइंस ब्लास्ट में शहीद हो गये. अपनी पत्नी को जाते समय कह गया था कि बच्चे को ठीक से पढ़ाओ- लिखाओ. उनकी ओर से किसी भी तरह की कमी रखी जायेगी. वह चाहता है कि बेटा पढ़- लिख कर बड़ा अफसर बनें.

नहीं रोक पाये जीवलाल पंडित अपने आंसू

पिता जीवलाल पंडित पुत्र के शहीद होने पर गर्व की अनुभूति करते हुए कहा कि उन्हें अपने पुत्र पर फक्र है कि वतन के लिए उनकी जान न्योछावर हुई है. कार्यक्रम होते तक पिता लगातार लोगों को इस बात को पूरी तरह से फक्र के साथ कहते रहे. मगर जब पुत्र को मुखाग्नि दी जाने लगी, तो अपने पोते राहुल आनंद को उस मुद्रा में देख अपने आपको रोक नहीं पाये और फफक- फफक कर रोने लगे. उनको रोता देख सभी की आंखें नम हो गयी.

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पुत्र ने अपने पिता को दी अंतिम विदाई

सुंदर जलाशय के पास 8 साल का बड़ा बेटा राहुल आनंद हाथों में पंचकाठ लिए अपने पिता को मुखाग्नि देने आगे बढ़ रहा था और उसके साथ उसका 3 साल का छोटा भाई आरव आनंद भी साथ था. दादा जीवलाल दोनों को लेकर शहीद तक पहुंचा. पुत्र अपने पिता को मुखाग्नि देने के बाद पत्थर की तरह कठोर हो गया. लोगों को एक टक देख रहा नन्हा सा बालक इस बात को समझ पा रहा था कि अब उसके पिता लौट कर कभी आनेवाले नहीं हैं.

पत्नी रेखा देवी ग्वालियर से कर रही है बीएड

शहीद की पत्नी रेखा देवी मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बीएड की पढाई कर रही है. अपने दोनों पुत्र क्रमश: राहुल आनंद को तीसरी कक्षा में तथा आरव आनंद को केजी में साहेबगंज के जेवियर स्कूल में पढ़ा रही है. पति द्वारा अपनी पत्नी को अपने पैरों में खड़ा देखना चाहते थे. इसके लिए खुद देवेंद्र पंडित ने ग्वालियर में बीएड की पढ़ाई के लिए नामांकन कराया था. शहीद के भाई वीरेंद्र पंडित JMP में जवान हैं तथा सबसे छोटा भाई ओमकार पंडित अभी पढाई कर रहा है. शहीद की एक बहन कौशल्या देवी है जिसकी शादी पूर्व में हो चुकी है.

सो रही थी मां, बेटा ने जगा कर कहा मां मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं

दहाड मार- मार कर रो रही मां सोहिया देवी ने कहा कि ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहे उसके पुत्र ने तीन दिन पहले मुझे सोते हुए जगाया. कहा मां मैं अब ड्यूटी के लिए जा रहा हूं. पैर छूकर प्रणाम किया और फिर निकल गया वतन सेवा के लिए. मां यह सोच भी नहीं पायी कि उसका पुत्र इस घर से अब अंतिम बार निकल रहा है. उसे क्या पता था कि पुत्र इस बार लौट कर घर वापस नहीं आयेगा.

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शाम के वक्त रांची से विदा हुआ था शहीद का शव

पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पांडेय ने बताया कि गुरुवार की शाम शहीद को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी थी. इस दौरान उनके अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, डीजीपी नीरज सिन्हा सहित एसोसिएशन के केंद्रीय पदाधिकारी, जगुआर शाखा के पदाधिकारी एवं सैकड़ों जवान अंतिम विदाई में शामिल थे. डीजीपी द्वारा अंतिम संस्कार के लिए 50 हजार रुपये भी दिये थे.

Posted By : Samir Ranjan.

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