Jharkhand Bridge Collapse News, Ranchi News ऱांची : 10 वर्षों के दौरान राज्य के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में पुल ढहने का मामला सामने आया है. पुलों का निर्माण ऐसा हुआ कि वह पानी का तेज बहाव भी नहीं सह सका और क्षतिग्रस्त हो गया. कहीं-कहीं तो तेज पानी के बहाव में पुल का पिलर ही पूरी तरह बह गया. कई जगहों पर पुल धंस गया. धनबाद के बराकर नदी के पुल का तो पांच-छह पिलर क्षतिग्रस्त हो गया था.
वहीं गुरुवार को रांची के बुंडू इलाके में कांची नदी पर तीन साल पहले बना पुल भी धंस गया. यह सब यहां के पुल निर्माण की घटिया गुणवत्ता को उजागर करता है. इंजीनियरों और ठेकेदारों के गंठजोड़ के कारण घटिया पुल बने. इसका नुकसान सरकार और आमलोगों को होता रहा. सरकार का करोड़ों रुपये पानी में बह गया. ये सारे पुल ग्रामीण कार्य विभाग के अधीन मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना से बने थे.
कार्रवाई के नाम पर इंजीनियर को सस्पेंड और ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड किया जाता है. यह भी दिखावे के लिए. कुछ माह बाद दोषी इंजीनियर का सस्पेंशन भी समाप्त कर दिया जाता है. वहीं ठेकेदार भी काली सूची से बाहर आ जाता है.
10 वर्षों के दौरान राज्य भर में मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के पुलों के क्षतिग्रस्त होने की संख्या तीन दर्जन से अधिक है. वहीं बड़ी संख्या में छोटी पुलिया, बड़े डायवर्सन बहे हैं, जिसका आंकड़ा ही नहीं है. सबसे ज्यादा गुमला, सिमडेगा, रांची, पलामू जिले में पुल ढहने की घटनाएं हुई है. सबसे बड़ी बात है कि पुल निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च हुए और महज कुछ ही वर्षों में ये क्षतिग्रस्त होकर ढह गये.
पुल धंसने के मामले में अभी तक एक भी इंजीनियर बर्खास्त नहीं हुए. यानी किसी की नौकरी नहीं गयी. पुल धंसने पर जब-जब हल्ला-गुल्ला हुआ, तो इंजीनियर सस्पेंड किये गये. मामला गंभीर होने पर विभागीय कार्यवाही चली. कुछ समय बाद इंजीनियरों का सस्पेंशन हट गया या मामूली दंड के बाद वे फिर से सेवा में आ गये. यही ठेकेदारों के साथ हुआ. बाद में वे भी काली सूची से बाहर आ गये.
बुंडू में आठ करोड़ की लागत से तीन साल पहले कांची नदी पर बना पुल गुरुवार को तेज बारिश से टूट गया. इस पुल का निर्माण ठेकेदार एएन सिंह ने कराया था. जबकि इस पुल का निर्माण दो-दो कार्यपालक अभियंताओं की देख-रेख में कराया गया था. पुल का निर्माण जब शुरू हुआ तो उस समय जेएल गुप्ता कार्यपालक अभियंता थे.
उनका तबादला होने के बाद जीतन दास कार्यपालक अभियंता बने. उनके कार्यकाल में ही पुल का निर्माण पूरा हुआ था. वहीं कनीय अभियंता के रूप में सतीश सिंह और केबी प्रसाद थे. केबी प्रसाद रिटायर हो गये, तो विजय कुमार एइ बने थे. ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल ने इस योजना के लिए टेंडर निकाला था.
हजारीबाग में शिवाने नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हुआ.
कांची नदी पर ही बना हरिण ब्रिज ध्वस्त हो गया था
दो साल पहले सोनाहातू में बलमाडीह के पास कांची नदी पर पुल धंसा
चैनपुर में शाहपुर-गढ़वा मार्ग पर तहले नदी के ऊपर बना पुल बहा था
पलामू के चैनपुर में कोयल नदी पर बना पुल ध्वस्त हुआ था
निरसा में पूसई नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हुआ
रायडीह-मरियम टोली में शंख नदी पर चार करोड़ से बने पुल का पिलर ध्वस्त हो गया था
डुमरी प्रखंड में भरक टोली के पास दो करोड़ से बना पुल भी क्षतिग्रस्त हुआ था
कांची नदी पुल के ढह जाने के बाद शुक्रवार को इंजीनियरों की टीम ने पुल का मुआयना िकया
पुल किस नदी पर बना राशि क्या कार्रवाई हुई थी
कोचेकेगा-सिकरियाटांड़ पुल शंख नदी 3.00 करोड़ इंजीनियर सस्पेंड/शोकॉज
शंख छठ घाट शंख नदी 2.5 करोड़ मामूली कार्रवाई
बेलवा शंख पुल शंख नदी 3.00 करोड़ बहुत बाद में शोकॉज
हलवाई पुल पालामाडा नदी 60 लाख शोकॉज, कार्रवाई का निर्देश
अधिकतर क्षतिग्रस्त पुलों को फिर से बनवाया गया और इसका खर्च संबंधित ठेकेदार ही वहन करता है. इंजीनियरों और ठेकेदारों ने जब पुल को फिर से बना दिया, तब उनका सस्पेंशन हटा और ठेकेदार का नाम ब्लैक लिस्ट से हटा. जिन मामलों में पुल नहीं बना, उस मामले में इंजीनियरों को दंड मिला है. उनकी प्रोन्नति रुकी ओर वेतन वृद्धि रोकी गयी.
रांची. तीन साल पहले कांची नदी पर बने पुल के बारिश में ढह जाने की उच्चस्तरीय जांच होगी. यह आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया है. उन्होंने कहा कि मेरे सेवाकाल में भ्रष्टाचार और जनता के पैसों की लूट किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने संबंधित विभाग को मामले की जांच कर दोषियों को चिह्नित करने का आदेश दिया. उल्लेखनीय है कि यह पुल दो दिन की बारिश में ही गुरुवार को ध्वस्त हो गया. इस पुल का उदघाटन तक नहीं हुआ था.
पुल के ढह जाने के मामले की जांच उच्चस्तरीय कमेटी करेगी. सरकार ने जांच के लिए पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख मुरारी भगत, जेएसआरआरडीए के मुख्य अभियंता जेपी सिंह और भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को इसकी जिम्मेवारी सौंपी है. जांच कमेटी के सदस्य कार्यस्थल पर जाकर पुल ढहने के कारणों की जांच करेंगे. इसके बाद जांच रिपोर्ट विभाग को सौंपेगे.
Posted By : Sameer Oraon